हर वर्ष 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर समाज में दिव्यांगों के विकास और पुनरुद्धार के अलावा बराबरी के अवसर मुहैया करने पर जोर देने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग (विकलांग) दिवस मनाया जाता है।
दिव्यांगों के उत्थान के लिए उनके अधिकारों के बारे में समाज में लोगों में जागरूकता लाने, आम नागरिकों की तर्ज पर उनके स्वास्थ्य पर ध्यान देने, उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के अलावा सहभागिता और समानता को महत्व दिया जाता है।
दिव्यांगों की सहायता, नैतिकता को बढ़ाने और दिव्यांगों के लिए बराबरी के अधिकार को हस्तांतरित करने के लिए विश्व दिव्यांग दिवस कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इसमें दुनियाभर के लोग बड़े गरमजोशी के साथ हिस्ला लेते हैं। इस महान उत्सव को कला प्रदर्शनी के आयोजन के द्वारा मनाया जाता है जो उनकी क्षमताओं को दिखाने के लिये दिव्यांग लोगों के द्वारा बनायी गयी कलाकृतियों को बढ़ावा देता है।
दिव्यांगों की अक्षमता के मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता और समझ को बढ़ाना अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाने का महत्वपूर्ण लक्ष्य है। समाज में उनके आत्म-सम्मान, लोक-कल्याण और सुरक्षा की प्राप्ति के लिये दिव्यांगों की मदद करना भी अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाने का महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
इसके अतिरिक्त जीवन के सभी पहलुओं में दिव्यांगों के सभी मुद्दे को बताना। समाज में उनकी भूमिका को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, बराबरी का मौका प्रदान कराना, उचित पुनर्सुधार के साथ उन्हें सहायता देना। एक आँकड़े के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि, लगभग पूरी दुनिया के 15% लोग दिव्यांग हैं।