कोरोना वैक्सीन : भारत और दक्षिण अफ्रीका ने डब्ल्यूटीओ से नियमों में छूट मांगी

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बीजिंग, 8 नवंबर (आईएएनएस)। विश्व में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 5 करोड़ से ज्यादा हो गई है जबकि मरने वालों का आंकड़ा साढ़े 12 लाख से अधिक हो गया है। कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शीर्ष पर मौजूद अमेरिका में संक्रमण के मामलों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा हो गई है और मौतों का आंकड़ा 2 लाख 43 हजार के पार है। जबकि दूसरे स्थान पर मौजूद भारत में संक्रमण के मामलों की संख्या 85 लाख हो गई है और मौतों का आंकड़ा 1 लाख 26 हजार के पार है।

लेकिन दुनिया भर में कोरोना वायरस की दवाएं और वैक्सीन विकसित करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। इस बीच भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से नियमों में राहत मांगी है। वे चाहते हैं कि आने वाली कोरोना की दवाइयों के उत्पादन में किसी एक देश का एकाधिकार न हो। भारत ने विश्व व्यापार संगठन से कहा है कि विकासशील देशों के लिए कोविड-19 की दवाओं के निर्माण और उनके आयात को सरल बनाने के लिए बौद्धिक संपदा नियमों में राहत दे।


बाकायदा, भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पिछले महीने डब्ल्यूटीओ को इस संबंध में पत्र लिखा है। दोनों देशों ने डब्ल्यूटीओ से बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौते के हिस्से में छूट देने का आह्वान किया है। दोनों का कहना है कि विकासशील देश महामारी से बहुत प्रभावित हुए हैं और यहां किफायती दवाओं की उपलब्धता के रास्ते में पेटेंट समेत विभिन्न संपदा अधिकारों से अड़चन आएगी।

दरअसल, बौद्धिक संपदा अधिकार विश्व व्यापार संगठन द्वारा संचालित अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसमें बौद्धिक संपदा के अधिकारों के न्यूनतम मानकों को तय किया गया है। यह वैश्विक स्तर पर पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और अन्य बौद्धिक संपदा नियमों को नियंत्रित करता है।

जेनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ की वेबसाइट पर प्रकाशित पत्र में कहा गया है कि कोरोना वायरस से बचाव के रूप में, कोविड-19 के लिए नई दवाइयां और वैक्सीन विकसित किये गये हैं। लेकिन अधिक चिंता इस बात की है कि इन्हें पर्याप्त मात्रा और उचित मूल्य में वैश्विक स्तर पर तुरंत कैसे उपलब्ध कराया जाए।


दरअसल, पेटेंट समेत बौद्धिक संपदा अधिकार के कुछ नियम कोरोना की दवाइयों को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने में बाधक साबित हो सकते हैं। वर्तमान में कोरोना की दवाओं को लेकर तमाम प्रयोग चल रहे हैं, और जो देश कोरोना वायरस की दवाई या वैक्सीन पहले बना लेगा जाहिर है डब्ल्यूटीओ में वही पहले पेटेंट कर लेगा।

पेटेंट के नियम के अनुसार, पेटेंट कराने वाला देश ही उस दवा से जुड़े उत्पादन, आयात और निर्यात का पूरा अधिकार रखेगा। पेटेंट के बाद अगर कोई दूसरा देश भी दवा बनाकर पेटेंट कराने के लिए आवेदन देता है तो, मौजूदा बौद्धिक संपदा अधिकार के नियमों के तहत, पहले से पेटेंट हुई दवा से फामूर्ला मैच होने की स्थिति में उसका आवेदन खारिज हो सकता है।

ऐसे में कोई एक देश या कुछ देश पूरी दुनिया को कोरोना की दवा सही समय, मात्रा और मूल्य पर उपलब्ध करा पाएंगे, इस बात को लेकर भारत और दक्षिण अफ्रीका ने चिंता जाहिर की है। विकसित देशों के पास ज्यादा संसाधन होते हैं, इसलिए पेटेंट की रेस में स्वाभाविक तौर पर वे आगे हैं, लेकिन ऐसे में विकासशील देशों का क्या होगा?

इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रखते हुए भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से विकासशील देशों के लिए कोरोना की दवा के उत्पादन और उसकी आपूर्ति में छूट की मांग की है।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

— आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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