कृषि विधेयक के विरोध में भारत बंद सफल : भाकियू

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नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कृषि विधेयकों के विरोध में शुक्रवार को आहूत भारत बंद को सफल बताया है। भाकियू समेत अनेक संगठनों ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य राज्यों में शुक्रवार को विरोध-प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग की।

हाल ही में संसद के मानसून सत्र के दौरान कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दी है। संसद द्वारा पारित इन तीनों विधेयकों का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब में हो रहा है।


भाकियू ने एक बयान के जरिये बताया कि बंद के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों को पूरी तरह बंद किया गया। किसान संगठन के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 80, मुजफ्फरनगर में 11, शामली में 3, सहारनपुर में 5, गाजियाबाद में 2, नोएडा में 2, हापुड में 4, मेरठ में 9, मुरादाबाद में 10, शाहजहांपुर में 3, रामपुर में 2, मैनपुर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ सहित पूरे प्रदेश में चक्का जाम किया गया, जबकि हरियाणा और पंजाब में बाजार सहित सभी संस्थान बंद रहे।

भाकियू किसानों का गैर-राजनीतिक संगठन है, जो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल सहित उत्तर भारत में किसानों का प्रतिनिधित्व करता है।

भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, “हम किसान पिछले चार दशकों से उचित और पारिश्रमिक मूल्य की मांग कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का चुनावी वादा किया था। उस वादे को पूरा करने के बजाय, किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सरकारों की जिम्मेदारी को समाप्त करने के लिए पारित किए गए इन विधेयकों के द्वारा हमें थप्पड़ मारा जा रहा है।”


उन्होंने आगे कहा, “पूरी तरीके से देखा जाए तो इन बिलों का किसानों की आय में सुधार से कोई लेना-देना नहीं है। देश में 80 प्रतिशत से अधिक छोटे और सीमांत किसान हैं। इससे हमारे खाद्य प्रणालियों पर कॉपोर्रेट का नियंत्रण बढ़ेगा, जिससे किसानों और उपभोक्ताओं के लिए न्याय की गुंजाइश नहीं होगी।”

उन्होंने बताया कि सभी जगह शाम चार बजे देश के प्रधानमंत्री के नाम तीनों बिलों को वापिस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाए जाने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा गया।

–आईएएनएस

पीएमजे/आरएचए

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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