बेंगलुरू, 6 जून (आईएएनएस)। प्रवासी मजदूरों को बसों और ट्रेनों से उनके गृहराज्य गए केवल एक ही महीने हुए हैं। कर्नाटक में उनकी वापसी में लंबा समय लग सकता है क्योंकि पहले उन्हें कोरोनावायरस के भय से उबरना होगा। उद्योग के प्रतिनिधि ने शनिवार को यह बात कही।
कंफेडेरेशन ऑफ रियल इस्टेट डवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया(सीआरईडीआईए) के अध्यक्ष सुरेश हरि ने यहां आईएएनएस से कहा, “हालांकि कई निर्माण सेक्टर में काम शुरू हो चुका है और वे कई कारणों से केवल 30-40 प्रतिशत की क्षमता से ही काम कर रहे हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भी शामिल है। यहां उत्पादन को धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा, जब दिशानिर्देशों में ढील दी जाएगी और प्रवासी वापस काम पर आएंगे।”
उन्होंने स्वीकार किया कि दक्षिणी राज्य में हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर लॉकडाउन की 25 मार्च को घोषणा होने के बाद से बेंगलुरू के आसपास 40-50 दिनों तक फंस रहे। हरि ने कहा कि 3 मई तक बसों और ट्रेनों के नहीं चलने से वे वापस अपने घरों को नहीं जा पाए।
हरि ने कहा, “यह प्रवासियों की जिंदगी में पहली बार है कि उन्हें अचानक लॉकडाउन का सामना करना पड़ा, उनकी नौकरी चली गई और यातायात साधन के आभाव में वे अपने घरों को नहीं जा पाए, जिससे उन्हें इस गर्मी में राहत शिविरों में रहना पड़ा। जब 3 मई से बस और ट्रेनों की व्यवस्था हुई, वे झुंड में वापस जाने लगे।”
हालांकि गर्मियों में तेज धूप की वजह से निर्माण कार्य में कमी आ जाती है, इसलिए प्रवासी मजदूर इन दिनों घर चले जाते हैं और जून तक काम में वापस लौटते हैं।
हरि ने कहा, “हम चाहते हैं कि मजदूर वापस आ जाएं और वे तब वापस आएंगे, जब स्थिति सामान्य हो जाएगी और उनके दिमाग से वायरस का भय मिट जाएगा।”
दक्षिण पश्चिमी रेलवे(एसडब्ल्यूआर) जोन ने 3 मई तक 17 विभिन्न राज्यों में कुल 3.02 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया।
एसडब्ल्यूआर के प्रमुख ई.विजयन ने आईएएनएस से कहा, “अभी तक किसी राज्य से प्रवासी मजदूरों को वापस कर्नाटक लाने के लिए ट्रेन चलाने के लिए कोई आग्रह नहीं मिला है। हम अभी भी संबंधित राज्य सरकारों के आग्रह पर बेंगलुरू, मैसुरू, हुब्बाली और मेंगलुरू से रोज 6-10 श्रमिक ट्रेन चला रहे हैं।”
–आईएएनएस