सालों की कठिन परीक्षा के बाद निरंजनी अखाड़े में करीब 500 नागा संन्यासियों ने सनातन सेना का हिस्सा बनने की परीक्षा पास कर ली। सोमवार को इन नागा संन्यासियों ने मुंडन करवाने के बाद अपना और 14 पीढ़ियों का पिंडदान किया। विजयाहवन के बाद इन संन्यासियों को दीक्षा दी जाएगी। मौनी अमावस्या तक इन संन्यासियों को अलग-अलग तरह के संस्कारों से गुजरने के बाद जीवन के पहले शाही स्नान में शामिल होने का मौका मिलेगा। इसके बाद सभी नागा संन्यासी आजीवन निरंजनी अखाड़े के सदस्य रहेंगे। इस कार्यक्रम में योगगुरु बाबा रामदेव भी शामिल हुए। उन्होंने निरंजनी के श्रीमहंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि के साथ ही नागा संन्यासियों को योग भी करवाया।
निरंजनी अखाड़े में शामिल होने वाले इन सभी संन्यासियों ने पूरे विधि-विधान के साथ अपनी-अपनी 14 पीढ़ियों का पिंडदान किया और अपना मुंडन भी करवाया। खबरों के मुताबिक, 4 फरवरी मौनी अमावस्या के दिन होने वाले दूसरे शाही स्नान तक इन सभी संन्यासियों को तीन चरण की जटिल परिक्षाओं का सामना करना होगा।
दीक्षा लेने के बाद में ये सभी संन्यासी कुंभ के दूसरे शाही स्नान में शामिल होंगे। ये शाही स्नान इन सभी संन्यासियों के जीवन का पहला शाही स्नान होगा। स्नान के बाद ये सभी संन्यासी निरंजनी अखाड़े के सदस्य कहलाएंगे। बता दें, निरंजनी अखाड़े के ईष्ट देव भगवान शंकर के पुत्र कार्तिक हैं। इस अखाड़े की स्थापना 826 ईसवी में हुई थी।
निरंजनी अखाड़े में नए नागा संन्यासियों को शामिल करने की प्रक्रिया काफी समय पहले ही शुरू हो गई थी। अपने गुरुओं द्वारा ली गई परीक्षा में पास हुए संन्यासियों को ही निरंजनी अखाड़े का हिस्सा बनने की प्रक्रिया में शामिल किया गया।