नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)| हुर्रियत कान्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने उनसे फोन पर बातचीत के दौरान कहा कि जब तक भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के संपर्क में नहीं आएंगे तब तक कश्मीर मसले का हल नहीं होगा।
पाकिस्तान में इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद राजनीतिक और नेतृत्व के स्तर पर उनकी यह पहली बातचीत थी।
फारूक ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि हुर्रियत कश्मीर में हिंसा समाप्त करना चाहती है और इसके लिए बातचीत ही एक मात्र जरिया है। उन्होंने कहा कि कुरैशी से मंगलवार को उनकी फोन पर बातचीत को लेकर मोदी सरकार की आपत्ति का संबंध आगामी लोकसभा से हो सकता है।
कुरैशी द्वारा अस्वाभाविक ढंग से मंगलवार को फोन करने पर भारत सरकार ने सख्त प्रतिक्रिया जाहिर की और इसे प्रतिगामी कदम करार दिया।
फारूक ने कहा कि हुर्रियत के प्रतिनिधि इमरान खान प्रशासन के संपर्क में है।
उन्होंने कहा, “हमारा मुजफ्फराबाद और इस्लामाबाद में संगठन है। हमारे पार्टी प्रतिनिधि वहां हैं। वे उनके साथ मिलते हैं और उनको बुलाते हैं। लेकिन यह आधिकारिक रूप से पहली बार उन्होंने हमसे नेतृत्व स्तर पर संपर्क किया है। ऐसा (संपर्क) राजनीतिक स्तर पर पहली बार हुआ है।”
फारूक के अनुसार, कुरैशी ने उनको बताया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत से संपर्क साधने की अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
हुर्रियत नेता ने कहा, “उन्होंने (कुरैशी) ने कहा कि पाकिस्तान काफी निराश है कि इमरान खान ने भारत सरकार से संपर्क साधने की काफी कोशिश की, हमने पहल की, हमने करतारपुर को खोला और कश्मीर पर बातचीत की पेशकश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला और एक नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।”
फारूक के अनुसार, कुरैशी ने उनको बताया कि उनको कश्मीर के हालात को लेकर चिंता है और समस्या का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “उन्होंने (कुरैशी) ने कहा कि हम बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन भारत जवाब नहीं दे रहा है। हमें कश्मीर के हालात की चिंता है, हम समस्या का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं और हम उसके लिए काम करेंगे।”
उन्होंने कहा कि कुरैशी ने उनको बताया कि लोकसभा चुनाव के बाद वे भारत से फिर संपर्क करने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा, “हमने भी उनको बताया कि हुर्रियत की भी दिलचस्पी इसी में है कि दोनों देश एक दूसरे के संपर्क में आए। हमारी समस्या का भी समाधान तब तक नहीं होगा, जब तक दोनों देशों के बीच संपर्क स्थापित नहीं होगा।”
फारूक ने कहा कि हुर्रियत कान्फ्रेंस की कुरैशी से सीधी बातचीत का मतलब मोदी सरकार को चिढ़ाना नहीं है। उन्होंने कहा, “हम नहीं समझ पा रहे हैं कि भाजपा सरकार बैठक को लेकर क्यों इतनी शोर मचा रही है। जब तक तीनों पक्ष एक दूसरे से बातचीत नहीं करेंगे, समस्या का समाधान कैसे निकलेगा?”
उन्होंेने कहा, “दूसरा कोई विकल्प नहीं है। हमें एक दूसरे से बातचीत करके समाधान तलाशना है। ठीक वैसे ही जैसा वाजपेयी ने समझा था, जब उन्होंने कहा कि हम मानवता के दायरे में इसका समाधान करेंगे।”
फारूक ने कहा कि वाजपेयी सरकार ने न सिर्फ पाकिस्तान से बातचीत की, बल्कि हुर्रियत के एक प्रतिनिधिमंडल को भी पड़ोसी देश जाने की अनुमति प्रदान की और उन्होंने पहले पाकिस्तान के नेताओं से दिल्ली में मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मसला नहीं है और कश्मीर के लोगों को भूमिका निभाना है।