क्या टोक्यों में नई ऊंचाइयों को छू पाएंगे भारतीय निशानेबाज?

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)| भारत ने हॉकी के अलावा ओलम्पिक खेलों में कोई स्वर्ण जीता है तो वो निशानेबाजी में जीता है। बीजिंग ओलम्पिक में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल भारत को स्वर्ण दिलाया था। यह भारत का ओलम्पिक में पहला व्यक्तिगत स्वर्ण था। बिंद्रा के बाद से भारत ने निशानेबाजी में स्वर्ण नहीं जीता है, लेकिन रियो ओलम्पिक-2016 के बाद से भारतीय निशानेबाजों का जो प्रदर्शन रहा है उससे एक बार फिर यह उम्मीद जरूर जगी है।

भारत ने अगले साल जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए अभी तक 15 कोटा हासिल कर लिए हैं। यह भारत द्वारा अभी तक हासिल किए गए सबसे ज्यादा ओलम्पिक कोटा है। लेकिन अब सवाल इससे भी बड़ा है और वो यह है कि क्या भारतीय निशानेबाज अगले साल ओलम्पिक में नई ऊंचाइयों को छू पाएंगे?


रियो में भारत ने निशानेबाजी में एक भी पदक नहीं जीता था, लेकिन तब से लेकर अब तक भारत ने जो सफलता हासिल की है वो किसी से छुपी नहीं है। विश्व कप से लेकर राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में भारतीय निशानेबाजों ने झंडे गाड़े हैं और इसका जीत-जागता उदाहरण हासिल किए गए ओलम्पिक कोटा हैं।

मौजूदा प्रदर्शन से उम्मीद तो बढ़ी है। लंदन ओलम्पिक में भारत को 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक दिलाने वाले निशानेबाज गगन नारंग को भी भारतीय निशानेबाजों से अगले साल बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।

गगन ने आईएएनएस से कहा, “टोक्यो से पहले हमारा अब तक का प्रदर्शन शानदार रहा है और देखा जाए तो अधिकतर विश्व कप में हम नंबर-1 पर रहे हैं। इसे देखते हम टोक्यो में अच्छे स्तर पर जा रहे हैं और इसी स्तर को बनाए रखेंगे तो आशा है कि कुछ पदक भी आएंगे। ”


उन्होंने कहा, “कोटा हासिल करना पहला कदम होता है। अब चूंकि हमने 15 कोटा हासिल कर लिए हैं तो अब कोशिश होनी चाहिए कि इनको पदकों में बदला जाए। पदक कितने आएंगे ये नहीं कह सकता है लेकिन मैं इतना दावे के साथ कह सकता हूं कि यह अभी तक की सबसे अच्छी टीमों में मानी जा सकती है। ओलम्कि से पहले इस तरह की प्रदर्शन हमारी पहले कभी नहीं रही है इसलिए उम्मीदें की जा सकती हैं।”

भारत ने रियो ओलम्पिक में कुल 13 कोटा हासिल किए थे, लेकिन निशानेबाज पदक नहीं जीत सके थे। वहीं लंदन ओलम्पिक में कुल 11 कोटा हासिल किए, जिनमें से दो निशानेबाज पदक जीतकर आए थे। विजय कुमार ने 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में रजत पदक जीता था और गगन ने भी इन ओलम्पिक में कांस्य पदक अपने नाम किया था।

वहीं अगर बीजिंग ओलम्पिक-2008 की बात की जाए तो भारत ने कुल नौ कोटा हासिल किए। लेकिन सिर्फ बिंद्रा भारत को ऐतिहासिक सफलता दिला पाए थे।

भारत के निशानेबाजी में ओलम्पिक पदक जीतने की शुरुआत एथेंस ओलम्पिक-2004 से हुई थी जहां राज्यवर्धन राठौर ने डबल ट्रैप में रजत पदक अपने नाम किया था। तब से निशानेबाजी में भारत ओलम्पिक में पदकों की होड़ में रहा है। बेशक 2016 में हम पदक नहीं जीत पाए हों लेकिन इस बार इसकी संभावनाएं ज्यादा हैं।

2016 के बाद से देखा जाए तो देश के कई युवाओं ने विश्व स्तर पर नाम कमाया है। अनुभवी निशानेबाजों के अलावा देश के युवा भी विश्व कप जैसे टूर्नामेंट में दिग्गजों को मात दे पदक लेकर लौटे हैं।

मनु भाकेर, सौरभ चौधरी, मेहुली घोष, अनिश भानवाल ऐसे युवा खिलाड़ी हैं जो लगातार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदकों पर निशाना साध रहे हैं।

जहां युवा अच्छा कर रहे हैं तो वहीं अनुभवी निशानेबाज भी अपने अनुभव का इस्तेमाल कर भारत की उम्मीदों को जिंदा रखे हुए हैं। संजीव राजपूत, तेजस्वनी सावंत, जीतू राय, राही सरनाबोत, अंजुम मोदगिल भी लगातार अपने पदकों की संख्या में इजाफा करते आ रहे हैं।

अहम बात इन सभी के प्रदर्शन में यह रही है कि इन खिलाड़ियों ने ओलम्पिक विजेता, विश्व विजेता सहित निशानेबाजी के कई दिग्गज नामों को मात दी।

इसका एक उदाहरण भारत की 22 साल की महिला निशानेबाज यशस्वनी सिंह देशवाल का सितंबर यूक्रेन में खेले गए आईएसएसएफ विश्व कप में ओलेना कोसटेव्याच को मात देना है। ओलेना पूर्व ओलम्पिक विजेता और 10 मीटर एयर पिस्टल में दुनिया की नंबर-1 निशानेबाज हैं।

हां, भारत के लिए एक निराशा यह भी रही है कि ट्रैप स्पर्धा में भारतीय निशानेबाजी ओलम्पिक कोटा हासिल नहीं कर सके। यहां भारत अपनी पुरानी विफलता को बेशक बदल पाने में इस समय असफल हो लेकिन बाकी वर्गो में पदक की उम्मीद की जा सकती है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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