लोक-आस्था का पर्व छठ की तैयारी शुरू

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नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिवाली के बाद प्रकृति-पूजोपासना और लोक-आस्था का महापर्व छठ की तैयारी शुरू हो चुकी है। दिल्ली-एनसीआर में जगह-जगह छठ घाट बनाने और उनकी सफाई की जा रही है। यही नहीं, बाजार में छठ पूजा के सामान दिवाली के पहले से ही मिलने लगे हैं। दरअसल, छठ बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाने वाला एक लोक-आस्था का त्योहार है, लेकिन पूर्वाचली प्रवासी देश-विदेश में जहां भी निवास करते हैं वे वहां छठ मनाते हैं।

छठ पूजा में सूर्य की उपासना की जाती है। इस मौके पर कठिन व्रत व नियमों का पालन किया जाता है। इस तरह यह प्रकृति पूजा के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और लोकाचार में अनुशासन का भी पर्व है। कार्तिक शुल्क पक्ष की षष्ठी व सप्तमी को दो दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार के लिए व्रती महिला चतुर्थी तिथि से ही शुद्धि के विशेष नियमों का पालन करती है। पंचमी को खरना व षष्ठी को सांध्य-अघ्र्य और सप्तमी को प्रात:अघ्र्य देकर पूजोपासना का समापन होता है।


इस बार छठ का नहाय-खाय 31 अक्टूबर को, खरना एक नवंबर को, सांध्य-कालीन अर्ध्य दो नवंबर को और प्रात: काली अघ्र्य तीन नवंबर को है।

लेखक, शिक्षाविद एवं मिथिलालोक फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा ने बताया कि छठ सही मायने में पर्यावरण संरक्षण, रोग-निवारण व अनुशासन का पर्व है जिसका इसका उल्लेख आदिग्रंथ ऋग्वेद में मिलता है।

यह पर्व समाज में स्वस्च्छता और समानता का संदेश भी देता है क्योंकि दीपावली पर लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, तो छठ पर नदी-तालाब, पोखरा आदि जलाशयों की सफाई करते हैं। जलाशयों की सफाई की यह परंपरा मगध, मिथिला और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्राचीन काल से चली आ रही है। दीपावली के अगले दिन से ही लोग इस कार्य में जुट जाते हैं, क्योंकि बरसात के बाद जलाशयों और उसके आसपास कीड़े-मकोड़े अपना डेरा जमा लेते हैं, जिसके कारण बीमारियां फैलती हैं।


छठ की पूजन-सामग्री और चढ़ावा अमीर-गरीब सबके लिए एक समान होता है, क्योंकि इस पर्व में प्राय: सीजनल फल, सब्जी व प्रकृति से प्राप्त वस्तुएं होती हैं जिनमें हल्दी, अदरक, गन्ना, कंद-मूल आदि शामिल होते हैं।

डॉ. झा ने कहा, “आज स्वच्छ भारत अभियान और नमामि गंगे योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मनपसंद परियोजनाओं में शुमार हैं। पिछले कुछ सालों से मोदी सरकार स्वच्छता अभियान और गंगा की सफाई को लेकर तेज मुहिम चला रही है। इन दोनों कार्यक्रमों का लोक-आस्था का पर्व छठ से सैद्धांतिक व व्यावहारिक संबंध है।”

उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक रूप से मोदी सरकार का गंगा सफाई योजना का जो उद्देश्य है, उसे बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में लोग सदियों से समझते हैं और छठ से पहले जलाशयों की सफाई करते हैं।

व्यावहारिक पक्ष की बात करें तो प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत की जो परिकल्पना की है, वह जनभागीदारी के बिना संभव नहीं है। नीति व नियमों से किसी अभियान में लोगों को जोड़ना उतना आसान नहीं होता है, जितना कि आस्था व श्रद्धा से। खासतौर से जिस देश में धर्म लोगों की जीवन-पद्धति हो, वहां धार्मिक विश्वास का विशेष महत्व होता है।

छठ का त्योहार सर्दी का मौसम शुरू होने से पहले मनाया जाता है। जाहिर है, जाड़े में सूर्योष्मा का महत्व बढ़ जाता है। इसलिए सूर्य की उपासना कर लोग उनसे शीत ऋतु में कड़ाके की ठंड से बचाने की विनती करते हैं। वहीं, यह जल संरक्षण का भी पर्व है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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