लोकसभा चुनाव 2019 में करोड़पति उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं है। वहीं कुछ उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनके बैंक अकाउंट में एक ढेला भी नहीं है। पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में ऐसे ही एक लोकसभा प्रत्याशी मांगेराम कश्यप हैं। मांगेराम कश्यप और उनकी पत्नी दोनों के ही बैंक अकाउंट में एक भी रुपया नहीं है। 51 वर्षीय मांगेराम के साथ एक और मजेदार बात यह है कि वह साल 2000 से हर चुनाव में अपनी किस्मत आजमाते हैं और हर चुनाव के साथ वह और भी गरीब हो जाते हैं। बताया जा रहा है कि 2019 लोकसभा चुनाव में मांगेराम शायद सबसे गरीब उम्मीदवार हैं।
मांगेराम कश्यप पेशे से वकील हैं। मांगेराम ने वर्ष 2000 में अपनी खुद की पार्टी बनाई। मांगेराम ने इस पार्टी का नाम ‘मजदूर किसान यूनियन पार्टी’ रखा। इसके बाद हर आम चुनाव में अपनी पार्टी से मांगेराम चुनावी मैदान में उतरे। मांगेराम की मानें तो उनकी पार्टी के साथ करीब 1000 लोग जुड़े हुए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग मजदूर हैं।
ससुराल से मिला है 15 लाख का घर
इस बार मांगेराम फिर लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में हैं। नामांकन के दौरान अपने हलफनामे में मांगेराम ने बताया कि ना उनके पास नकदी है, ना बैंक में एक भी रुपया है और ना ही जेवर हैं। हलफनामे में यह भी जिक्र है कि उनकी पत्नी बबीता चौहान के पास भी कोई नकदी नहीं है। उनके बैंक में भी जीरो बैलेंस है और उनके पास भी कोई जेवर नहीं हैं। हलफनामे के मुताबिक करीब 5 लाख रुपये कीमत से एक 100 वर्गमीटर का प्लॉट उनके पास है। इसके अलावा 15 लाख रुपये का एक घर है। घर भी मांगेराम को ससुराल की तरफ से गिफ्ट में मिला है। हां, मांगेराम के पास 36 हजार रुपये कीमत की एक बाइक जरूर है।
हर बार जमानत जब्त, लेकिन नहीं टूटा हौसला
आम तौर पर चुनावों में बड़ी-बड़ी गाड़ियों के काफिले के साथ नेता लोग चुनाव-प्रचार करते हैं। मगर मांगेराम लोगों के बीच पैदल पहुंचते हैं। मांगेराम घर-घर तक पहुंचकर लोगों से खुद के लिए वोट की अपील जरूर करते हैं। लेकिन चुनावों में उन्हें इसका फायदा नहीं मिलता है। यही वजह है कि हर बार चुनाव बाद उनकी जमानत जब्त हो जाती है और उन्हें हर बार नुकसान उठाना पड़ता है।
इस बार उनके सामने बीजेपी के संजीव बालियान, कांग्रेस से नरेंद्र कुमार और महागठबंधन से अजित सिंह उम्मीदवार हैं।हालांकि इस बार मांगेराम उत्साहित हैं और उन्हें लगता है कि परिस्थितियां बदलेंगी।