लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश, विपक्ष ने की आपत्ति

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नई दिल्ली, 9 दिसम्बर (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया। विपक्षी दलों ने इसे बुनियादी तौर पर असंवैधानिक बताया और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करार देते हुए विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई। विधेयक की वैधानिकता पर एक घंटे की बहस हुई, जिसमें जांचा-परखा गया कि विधेयक पर चर्चा हो सकती है या नहीं। निचले सदन में इसके पक्ष में 293, जबकि विपक्ष में कुल 82 मत पड़े।

विधेयक के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी नेताओं के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं विश्वास दिलाता हूं कि विधेयक भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है और किसी भी नागरिक को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा।”


शाह ने कहा, “प्रत्येक नागरिक को उचित वर्गीकरण के आधार पर विधेयक में जगह दी गई है।”

उन्होंने कहा कि विधेयक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न के कारण भाग रहे हिंदुओं, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्धों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना चाहता है।

मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान का विश्लेषण करने के बाद विधेयक पेश किया गया है।


भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद 1950 में हुए नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने पर सहमति बनी थी, लेकिन इसका पालन सिर्फ भारत ने किया। जबकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसियों, जैनों और बौद्धों को प्रताड़ना का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कहा, “यह विधेयक उन्हीं अल्पसंख्यकों के लिए है, जिन्हें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।”

मंत्री ने स्पष्ट किया कि चूंकि इन तीन इस्लामी देशों में मुस्लिम समुदाय को सताया नहीं गया है, लिहाजा विधेयक में विशेष रूप से छह धार्मिक उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का उल्लेख है।

शाह ने कहा, “पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के बाद भारत में पलायन करने वाले छह अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को विधेयक के अनुसार भारतीय नागरिकता दी जाएगी। उन्हें उचित वर्गीकरण के आधार पर नागरिकता दी जा रही है। विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन नहीं करता है।”

शाह ने कहा कि विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं है और अगर कोई भी मुस्लिम नियम के अनुसार भारत में नागरिकता चाहता है तो इसका निर्णय विधेयक के अनुच्छेद के अनुसार लिया जाएगा।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध जताया।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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