लोकसभा चुनाव 2019 : मधेपुरा में उलटा पड़ा जातीय गणित, यदुवंशियों के बीच होगा युद्ध

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लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार का मधेपुरा सीट काफी चर्चा में है। मधेपुरा में तीसरे चरण में मतदान होना है। जिससे मधेपुरा से लेकर पूरे बिहार की सियासत गरम हो गई है। मधेपुरा सीट पर आरजेडी और जेडीयू उम्मीदवार के अलावा वर्तमान सांसद पप्पू यादव मैदान में हैं। जिसके माना जा रहा है कि मधेपुरा सीट पर त्रिशंकू संघर्ष हो सकता है। इस बार मधेपुरा की हाई-प्रोफ्राइल सीट पर कोई मुद्दा मसला नहीं है, इस यादव बहुल संसदीय क्षेत्र में वोटरों के रुख पर ही दिग्गजों का भाग्‍य टिका है। दरअसल यहां मुकाबला त्रिकोणीय है और तीनों दिग्गज एक ही बिरादरी के हैं। यहां देश के दिग्‍गज राजनीतिज्ञों में शुमार शरद यादव की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी है।

कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। कब कौन किस पार्टी का दामन छोड़ कर, किस पार्टी में शामिल हो जाए कोई नहीं जानता। ठीक इसी तरह मधेपुरा के चुनावी जंग में उम्मीदवारों को अपने पुराने संबंधों और रिश्तों की बात तक करनी पड़ रही है। परेशानी यह कि अपनों का अंदाज अब बेगानों जैसा हो गया है।


उलटा पड़ा जातीय गणित

राजनीतक अवसरवाद ने इस बार मधेपुरा में जातीय गणित के कुछ आजमाए सूत्र को भी उलट-पलट दिए हैं। 2014 के चुनाव में यहां से राष्‍ट्रीय जनता दल के टिकट पर निर्वाचित हुए राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव इस बार अपने दल जन अधिकार पार्टी के उम्मीदवार हैं। पिछली बार उन्‍होंने जनता दल यूनाइटेड  के उम्मीदवार शरद यादव को हराया था।

इस बार जदयू छोड़ चुके शरद यादव महागठबंधन की ओर से राजद के उम्मीदवार हैं। सियासत की इस उलटचाल से जहां पप्पू यादव के समर्थकों के चेहरे का चुनावी रंग उड़ा हुआ है, वहीं शरद यादव के ही शिष्य रहे दिनेश चंद्र यादव राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से जेडीयू के उम्मीदवार हैं, जो उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं। गुरु-शिष्य के बीच इस चुनावी जंग में पप्पू यादव ने अपने ही अंदाज में मोर्चा संभाल रखा है।

पुरानों रिश्तों की याद

मधेपुरा में इस बार दिलचस्प समीकरण देखने को मिल रहे हैं। यादव समाज से तीन दिग्गजों की आपसी भिड़ंत के कारण मधेपुरा में जातिगत और भावनात्मक संदेश फैलाए जा रहे, जो सबसे अनुकूल चुनावी समीकरण के तौर पर उभरने लगे हैं।


यहां 12 फीसद मुस्लिम मतदाता भी हैं, इनका वोट किसे जाएगा ये कहना अभी मुश्किल है सेकिन इतना तो तय है कि वे अपना वोट खराब नहीं करेंगे। ऐसे में एनडीए के लिए मतदाताओं के सम्मलित रुझान को मोदी मुहिम के बूते ताकतवर बनाने में दिनेश चंद्र यादव के समर्थक जुटे हुए हैं। एनडीए और महागठबंधन की इस तगड़ी लड़ाई को पप्पू यादव और उनके समर्थक त्रिकोणीय बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहे।

गौरतलब है कि मधेपुरा लोकसभा सीट पर 23 अप्रैल को मतदान होना है। जिसके बाद 23 मई को परिणाम घोषित होंगे। उसके बाद ही सही मायनों में पता लगेगा कि आखिर यहां का वोट किस पार्टी और नेता को गया है।

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