भोपाल। जाति प्रमाण पत्र जांच के लिए बनी राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे की अपील खारिज कर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है। पहले भी जांच में समिति ने धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समिति की बैठक में मुख्य सचिव एसआर मोहंती के निर्देश पर रायपुर बैतूल और बालाघाट गई टीमों ने जांच रिपोर्ट पेश की जिसमें ज्योति धुर्वे द्वारा लगाई गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया गया है। हालांकि, समिति के फैसले के आदेश जारी होने तक इसमें गोपनीयता बरती गई है।
आपको बता दें कि वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में ज्योति धुर्वे ने बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में दाखिल नामांकन में अनुसूचित जनजाति वर्ग का जाति प्रमाण पत्र लगाया था। जिसके बाद बैतूल के अधिवक्ता शंकर पेंदाम ने अप्रैल 2009 में उनके इस जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए चुनाव अधिकारी को शिकायत की थी। किन्तु उनकी इस शिकायत के खारिज होने पर उन्होंने इसके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच समिति में भी शिकायत की थी।
मई 2017 में जाति प्रमाण पत्र की जांच के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति ने सांसद ज्योति धुर्वे के अनुसूचित जनजाति होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया था, जिसके बाद धुर्वे ने इसकी अपील की थी। तब की सरकार (बीजेपी) ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई टाल दी थी, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आते ही फाइल को फिर से खोल कर जांच शुरू कर दी गई थी।
गौरतलब है कि धुर्वे का जाति प्रमाणपत्र भैंसदेही में बना था। बालाघाट के तिरोड़ी गांव में उनका जन्म हुआ था जबकि प्राथमिक पढ़ाई रायपुर में हुई। सबसे पहले उन्होंने रायपुर से जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। विवाह के बाद बैतूल के प्रेम सिंह धुर्वे से विवाह कर पति की जाति के आधार पर भैंसदेही से एससी का प्रमाणपत्र बनवाया।
‘मेरा पक्ष नहीं सुना गया’
दूसरी तरफ बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे ने इसे एकतरफा कार्रवाई करार देते हुए कहा कि उन्होंने अपील की थी। लेकिन उन्होंने जो तथ्य रखे उस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। दो बार पेशी की तारीख दी गई, पर पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। यह उचित नहीं है।