Madhya Pradesh Foundation Day: 1 नवंबर को मध्य प्रदेश स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। इस साल एमपी अपना 64वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस दौरान पूरे प्रदेश में हर जगह अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस बार राजधानी के लाल परेड ग्राउंड में होने वाले राज्य स्तरीय समारोह के पहले दिन बॉलीवुड के म्यूजिक डायरेक्टर-सिंगर अमित त्रिवेदी के गानों से शाम सजेगी। साथ ही नई दिल्ली के गुलाम साबिर निजामी बन्धुओं की सूफी कव्वाली भी होगी। वहीं प्रदेशभर में अलग-अलग अंदाज में कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। यहां हम आपको मध्य प्रदेश की स्थापना से जुड़ीं महत्वपूर्ण जानकारियां आपके साथ साझा कर रहे हैं।
मध्यभारत प्रांत का गठन 28 मई 1948 को किया गया था, जिसमें ग्वालियर और मालवा का क्षेत्र शामिल था। मध्यभारत प्रांत के पहले राजप्रमुख ग्वालियर रियासत के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया थे। प्रांत की दो राजधानियां थीं। ग्वालियर विंटर कैपिटल थी तो इंदौर को ग्रीष्म राजधानी कहा जाता था। सन् 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1956 को नया राज्य मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया। इसके घटक राज्य मध्यप्रदेश, मध्यभारत, विन्ध्य प्रदेश और भोपाल थे, जिनकी अपनी विधानसभाएं थीं। डॉ. पटटाभि सीतारामैया मध्यप्रदेश के पहले राज्यपाल हुए। जबकि पहले मुख्यमंत्री के रूप में पंडित रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी।
भोपाल चुनी गई राजधानी
1 नवंबर 1956 को प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी राजधानी और विधानसभा का चयन भी कर लिया गया। इस राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्यप्रदेश, और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ। मध्यप्रदेश के राजधानी को लेकर विवाद हुआ। राजधानी के लिए भोपाल के साथ ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर का दावा था। दूसरी ओर भोपाल के नबाब भारत के साथ संबंध ही नहीं रखना चाहते थे। वे हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध कर रहे थे। भारत सरकार नहीं चाहती थी कि देश के मध्य में राष्ट्र विरोधी गतिविधियां बढ़ें। इसके चलते सरदार पटेल ने भोपाल पर पूरी नजर रखने के लिए उसे ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने का निर्णय लिया।
ऐसा कहा जाता है कि भोपाल को राजधानी बनाए जाने में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा, भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान और पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की भी अहम भूमिका रही। राजधानी बनाए जाने के बाद 1972 में भोपाल जिला के रूप में घोषित हो गया। कहा ये भी जाता है कि जवाहरलाल नेहरू इसे देश की राजधानी बनाना चाहते थे।
जानें मध्य प्रदेश के बारे में कुछ रोचक तथ्य –
– 1956 में अस्तित्व में आए इस प्रदेश को पहले मध्य भारत कहकर संबोधित किया जाता था।
– इसका पुनर्गठन भाषायी आधार पर हुआ।
– 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद देश में सन् 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिसके कारण संसद एवं विधान मण्डल कार्यशील हुए।
– सन् 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को नया राज्य मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया।
– इसके घटक राज्य मध्यप्रदेश, मध्यभारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल थे, जिनकी अपनी विधान सभाएं थीं।
– डॉ. पटटाभि सीतारामैया मध्यप्रदेश के पहले राज्यपाल हुए।
– पं रविशंकर शुक्ल ने पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
– वहीं पं कुंजी लाल दुबे को मध्यप्रदेश का पहला अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
– 1 नवंबर 1956 को प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी राजधानी और विधानसभा का चयन भी कर लिया गया।
– मध्यप्रदेश की राजधानी के रूप में भोपाल को चुना गया।
– अपने गठन के वक्त मध्यप्रदेश में कुल 43 जिले थे।
– आज मध्यप्रदेश में 52 जिले हैं।
– मध्य प्रदेश 1 नवंबर, 2000 तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था।
– इस दिन मध्यप्रदेश राज्य से 14 जिले अलग कर अलग छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई थी।
– मध्य प्रदेश की सीमा पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है।
– 1991 में तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री कमलनाथ ने प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिया था। कमलनाथ अभी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं।
– प्रदेश में उस समय 900 से अधिक बाघ थे, तब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग नहीं हुआ था।
– मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का तमगा वर्ष 2010 में छिन गया था। तब बाघों की संख्या 300 से घटकर 257 रह गई थी। 300 बाघों के साथ कर्नाटक टाइगर स्टेट बना था।
– इसी साल जुलाई में जारी आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश 526 बाघों के साथ देश में पहले नंबर पर है। कर्नाटक 524 टाइगर के साथ दूसरे स्थान पर और उत्तरखंड 442 टाइगर के साथ तीसरे नंबर पर है।