कोरोना की दवा बनाकर विवादों घिरे बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। कोरोना के उपचार के रूप में पेश की गई योगगुरू रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की दवा -कोरोनिल को मद्रास उच्च न्यायालय से झटका लगा है और उसने कंपनी को ट्रेडमार्क ‘कोरोनिल का इस्तेमाल करने से रोक दिया।
न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन ने चेन्नई की कंपनी अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की अर्जी पर 30 जुलाई तक के लिए यह अंतरिम आदेश जारी किया। अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड ने कहा कि ‘कोरोनिल 1993 से उसका ट्रेडमार्क है। कंपनी के अनुसार उसने 1993 में ‘कोरोनिल-213 एसपीएल और ‘कोरोनिल -92बी का पंजीकरण कराया था और वह तब से उसका नए सिरे से नवीकरण करा रही है।’
यह कंपनी भारी मशीनों और निरूद्ध इकाइयों को साफ करने के लिए रसायन और सेनेटाइजर बनाती है। कंपनी ने कहा, ”इस ट्रेडमार्क पर 2027 तक हमारा अधिकार वैध है।” पतंजलि द्वारा कोरोनिल पेश किए जाने के बाद आयुष मंत्रालय ने 1 जुलाई को कहा था कि कंपनी प्रतिरोधक वर्धक के रूप में यह दवा बेच सकती है न कि कोविड-19 के उपचार के लिए।
इससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Desmukh) ने उन्हें चेतावनी दी है कि बिना किसी क्नीनिकल ट्रायल के उनकी कंपनी को कोरोना की दवा बेचने की इजाजत नहीं दी जाएगी। गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि ऐसी फेक दवाइयों को महाराष्ट्र (Maharashtra) में कतई बेचने नहीं दिया जाएगा।
पतंजलि (Patanjali) ने कुछ दिनों पहले ही COVID-19 की दवा कोरोनिल इजाद करने का दावा करते हुए इसे लॉन्च किया था। जिसके बाद से ही पतंजलि आयुर्वेद की इस दवा पर कई लोगों ने सवाल उठाए हैं। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने भी इस मामले को अपने संज्ञान में लिया है। जिसके बाद मंत्रालय ने पतंजलि को नोटिस भेजकर तत्काल दवा के प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग का कहना था कि हमने सर्दी-जुकाम की दवा बनाने का लाइसेंस जारी किया गया था। लेकिन पतंजलि ने कोरोना की दवा बना डाली। स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने दिव्य योग फार्मेसी को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में पूछा गया था कि दिव्य योग फार्मेसी ने कोरोना की जो दवा बनाने का दावा किया है उसका आधार क्या है?