मैं अंतर्वस्त्र जलाने वाली नारीवादियों में से नहीं हूं : सुष्मिता मुखर्जी

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लोनावला, 15 दिसम्बर (आईएएनएस)| अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी पिछले तीन सालों से अब तक नाटक ‘नारी बाई’ में अपनी प्रस्तुति देती आ रही हैं। इस बीच महिला सशक्तीकरण, लैंगिक समानता, महिलाओं पर हिंसा पर सामूहिक चेतना के साथ कई चीजें बदल गई हैं और इस पर अभिनेत्री का कहना है कि उनका यह नाटक बेहद प्रासंगिक है क्योंकि इसका शीर्षक चरित्र परिवर्तन का बीज है।

हाल ही में सुष्मिता ने एलआईएफएफटी इंडिया फिल्मोत्सव 2019 में इस नाटक का मंचन किया। इस फिल्म महोत्सव की शुरुआत 12 दिसंबर से हुई और 16 दिसंबर तक यह जारी रहेगा।


सुष्मिता ने आईएएनएस को बताया, “मैं उन नारीवादियों में से नहीं हूं जो अपनी किसी बात को साबित करने के लिए अपना अन्तर्वस्त्र जला दें। वर्तमान समय में इसे प्रासंगिक बनाने के लिए मैंने अपने नाटक में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। नाटक में मेरा केंद्रीय चरित्र ‘नारी बाई’ का है जो एक कि वेश्या है और परिवर्तन का बीजारोपण करती हैं और इसलिए यह हर समय में प्रासंगिक है। मैं निर्भया मामले या हाल ही में हुए प्रियंका रेड्डी की घटना का जिक्र नहीं करूंगी क्योंकि मेरा मानना है कि हम एक ही ग्रह पर रह रहे हैं। इसी दुनिया में किसी इंसान को ईश्वर के नाम पर मारा जाता है, लैंगिक आधार पर एक महिला को हिसा का सामना करना पड़ता है या जलवायु परिवर्तन के चलते कोई जंगल जल रहा है-ये सारी चीजें हम सभी को प्रभावित करती हैं। इनका एक दूरगामी प्रभाव है।”

‘करमचंद’ व ‘अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो’ जैसे धारावाहिकों और ‘खलनायक’ व ‘रूदाली’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं अभिनेत्री ने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा, “एक कलाकार होने के तौर पर मैं मानती हूं कि कला को उपदेशात्मक होने की जरूरत नहीं है बल्कि इसे दर्शकों के दिमाग में बदलाव के बीज बोने चाहिए। नाटक में मेरा मुख्य चरित्र एक वेश्या का है जो कि हम सब हैं। हम सभी अपनी जिंदगी का कुछ न कुछ तो बेच ही रहे हैं-शरीर, दिमाग, आत्मा और इस दृष्टि से हम सभी वेश्याएं हैं।”

द एलआईएफएफटी (लिटरेचर, इल्यूशन, फिल्म फ्रेम एंड थिएटर) इंडिया फिल्मोत्सव 2019 में कुल 40 देशों से विभिन्न श्रेणियों की ढाई सौ से अधिक फिल्में दिखाई जाएंगी। महाराष्ट्र के लोनावला के फरियास रिजॉर्ट में 16 दिसंबर तक इसे आम जनता के लिए आयोजित किया जा रहा है। यहां कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्मकारों और एलआईएफएफटी इंडिया में कलाकारों के साथ वार्ता सत्र का भी आयोजन किया जाएगा। एलआईएफएफटी इंडिया की स्थापना रिजू बजाज ने की है।


 

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