Major Dhyan Chand: इसलिए दुनिया कहती थी मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर, जानें उनके बारे में 12 खास बातें

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10 intresting facts about world's greatest hockey player major dhyan chand

Major Dhyan Chand Death Anniversary: आज हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की आज पुण्यतिथि है। हिटलर, ब्रेडमैन सहित दुनिया की कई दिग्गज हस्तियों को प्रभावित करने वाले मेजर ध्यानचंद (Major Dhyanchand) ने 3 दिसंबर 1979 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।  जानिए हॉकी के महानतम खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद से जुड़ी 12 प्रमुख बातें…

1. मेजर ध्यानचंद का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 29 अगस्त 1905 को हुआ था। उनके जन्मदिन को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day)  के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं।


2.. ध्यानचंद 16 साल की कच्ची उम्र में भारतीय सेना में शामिल हुए। भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। ध्यानचंद जमकर प्रैक्टिस किया करते थे। रात को उनके प्रैक्टिस सेशन को चांद निकलने से जोड़कर देखा जाता। इसलिए उनके साथी खिलाड़ियों ने उन्हें ‘चांद’ नाम दे दिया। सन 1926 में भारतीय हॉकी टीम में वह शामिल हुए।

3. 1928 में एम्सटर्डम में हुए ओलंपिक खेलों में वह भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उस टूर्नामेंट में ध्यानचंद (Dhyan Chand) ने कुल 14 गोल दागे। एक स्थानीय समाचार पत्र में लिखा था, ‘यह हॉकी नहीं बल्कि जादू था। और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’ 1932 में खेले गए ओलंपिक में मेजर ध्यानचंद ने 8 गोल के साथ दूसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे थे। यूँ तो ध्यानचंद ने कई यादगार मैच खेले, लेकिन 1933 में कलकत्ता कस्टम्स और झांसी हीरोज के बीच खेला गया बिगटन क्लब फाइनल उनका सबसे ज्यादा पसंदीदा मुकाबला था।

4. 1932 के ओलंपिक फाइनल में भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 24-1 से हराया था। उस मैच में ध्यानचंद ने 8 गोल किए थे। उनके भाई रूप सिंह ने 10 गोल किए थे। उस टूर्नामेंट में भारत की ओर से किए गए 35 गोलों में से 25 गोल दो भाइयों की जोड़ी ने किए थे। ये थे रूप सिंह (15 गोल) और मेजर ध्यानचंद (10 गोल)। ज्ञात हो कि किसी हॉकी मैच में 24 गोल दागने का 86 साल पुराना यह रिकॉर्ड भारतीय हॉकी टीम ने इंडोनेशिया में जारी एशियाई खेलों में हाल ही में तोड़ा है। भारत ने हॉन्ग कॉन्ग को 26-0 से मात देकर यह रिकॉर्ड तोड़ा था।


5. ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट दिग्गज सर डॉन ब्रैडमैन ने 1935 में एडिलेड में ध्यानचंद से मुलाकात की। ध्यानचंद (Major Dhyanchand) को खेलते देख, ब्रैडमैन ने कहा कि ध्यानचंद ऐसे गोल करते हैं जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं।

6. अपने जमाने में ध्यानचंद (Dhyan Chand) ने किस हद तक अपना लोहा मनवाया होगा इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वियना के स्पोर्ट्स क्लब में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है जिसमें उनके चार हाथ और उनमें चार स्टिकें दिखाई गई हैं, मानों कि वो कोई देवता हों।

इसलिए दुनिया कहती थी मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर, जानें उनके बारे में 12 खास बातें

7. ध्यानचंद (Dhyanchand) की महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह दूसरे खिलाड़ियों के मुकाबले कहीं ज्यादा गोल कर लेते थे। इसके लिए उनकी हॉकी स्टिक को भी तोड़ कर जांचा गया। नीदरलैंड्स में ध्यानचंद की हॉकी स्टिक तोड़कर यह चेक किया गया था कि कहीं इसमें चुंबक तो नहीं लगी।

8. ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। तीनों ही बार भारत ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता।

9. दुनिया के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक मेजर ध्यानचंद (Major Dhyanchand) ने अतंरराष्ट्रीय हॉकी में 400 से ज्यादा गोल दागे। 22 साल के हॉकी करियर में उन्होंने अपने खेल से पूरी दुनिया को हैरान किया।

10. बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद के शानदार प्रदर्शन से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें डिनर के लिए आमंत्रित किया था। जर्मन तानाशाह ने उन्हें जर्मनी की फौज में बड़े पद का लालच दिया और जर्मनी की ओर से हॉकी खेलने को कहा। लेकिन ध्यानचंद ने उसे ठुकराते हुए हिटलर को दो टूक अंदाज में जवाब दिया, ‘हिंदुस्तान ही मेरा वतन है और मैं उसी के लिए आजीवन हॉकी खेलता रहूंगा।’

11. 1959 में भी जब ध्यानचंद 54 साल के हो चले थे भारतीय हॉकी टीम का कोई भी खिलाड़ी बुली में उनसे गेंद नहीं छीन सकता था।

12. मेजर ध्यानचंद देश के पहले ऐसे खिलाड़ी है, जिन्हें 1956 में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। ध्यानचंद देश के पहले खिलाड़ी है, जिनकी फोटो के साथ भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया। वहीं, साल 1994 में 29 अगस्त को भारत सरकार ने खेल दिवस घोषित किया था।


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