मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश ने एआईसीएफ में राजा को मुसीबत में डाला

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चेन्नई, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) के अध्यक्ष पी.आर.वेंकटरामा राजा को मद्रास उच्च न्यायालय से झटका लगा है। कोर्ट ने कहा है कि इस साल फरवरी में जो निवार्चक मंडल था वो मान्य नहीं है। इस बात की जानकारी विपक्षी तबके के वकील ने दी।

उन्होंने कहा कि एआईसीएफ की देखभाल उसकी जनरल बॉडी द्वारा की जाएगी और अभी इस समय कोई अधिकारी नहीं है क्योंकि उनका कार्यकाल जून में अपने आप समाप्त हो गया।


एआईसीएफ के सचिव भरत सिंह चौहान के वकील संजय चड्ढा ने कहा, “मद्रास उच्च न्यायालय ने 28 सितंबर को कहा कि 18.2.2020 के फैसले पर किसी भी तरह के स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है।”

संजय ने कहा कि उनके क्लाइंट को 33 राज्य संघों में से 22 का समर्थन हासिल है।

एआईसीएफ इस समय दो पाटों में बंटी हुई है। एक की कमान राजा के हाथों में है तो वहीं दूसरे की चौहान के हाथों में।


राजा ने 18.02.2020 के आदेश को लेकर कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगा था।

कोर्ट ने 18 फरवरी को दिए अपने आदेश में एआईसीएफ के पांच अधिकारियों के चुनाव को रद्द कर दिया था और रिटनिर्ंग ऑफिसर से कहा था कि वह नए चुनाव कराने के लिए स्पेशल जनरल बॉडी का गठन करें।

राजा की तरफ से 18 फरवरी के आदेश पर स्पष्टीकरण की अपील करते हुए राजा के वकील पी.एस. रमन ने कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से समझते हुए कहा था कि चौहान और उनके समर्थकों ने 22.4.2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जनरल बॉडी की बैठक की और रिटनिर्ंग ऑफिसर द्वारा गठित किए गए निवार्चक मंडल से छेड़छाड़ की।

रमन ने अपनी तरफ से कहा कि उस बैठक में पांच राज्य संघों तो अयोग्य बताने का प्रस्ताव पास किया गया था और साथ ही बिना अधिकार से एआईसीएफ के अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था।

संजय ने अपनी बात रखते हुए कहा था कि कोर्ट के 18 फरवरी के आदेश के पैरा 16 और 17 को पढ़ने के बाद यह साफ है कि रिटनिर्ंग ऑफिसर की पूरी प्रक्रिया को अलग कर दिया गया है और इसलिए नए निर्वाचक मंडल को बनाने का कोई प्रावधान नहीं है।

–आईएएनएसए

एकेयू/जेएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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