मेरे ख्याल से बेवजह की कोई भी कला निर्थक है : सुभाष घई

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मुंबई, 6 दिसम्बर (आईएएनएस)। फिल्मकार सुभाष घई का मानना है कि सिनेमा और आर्ट में सामाजिक प्रासंगिकता होनी चाहिए क्योंकि बेवजह कोई भी कला निर्थक है।

घई ने टेलीविजन पर अपनी फिल्म कांची : द अनब्रेकेबल के डायरेक्टर्स कट के प्रीमियर पर अपनी यह बात जाहिर की। यह फिल्म साल 2014 में रिलीज हुई थी। यह उनके द्वारा निर्देशित आखिरी फिल्म है। उनका कहना है कि उन्होंने फिल्म निर्माण के दौरान अपने प्रयासों के माध्यम से कला के अपने सिद्धांत को बनाए रखने को कोशिश की है।


कई बेहतरीन फिल्में देने वाले इस 75 वर्षीय फिल्मकार ने कहा, मेरा मानना है कि बेवजह कोई भी कला निर्थक है। कांची : द अनब्रेकेबल उन सभी चीजों का प्रतिबिंब है, जो समाज को गंदा कर रहे हैं। हम आगे बढ़ रहे हैं और एक स्वच्छ, निर्मल समाज का गठन कर रहे हैं, लेकिन फिल्म की कहानी आज भी प्रासंगिक है। एक बेहद उत्साही टीम और दिवंगत ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, कार्तिक आर्यन और मिष्टि ने मिलकर यह फिल्म बनाई है, जो कि कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।

फिल्म के डायरेक्टर्स कट को रविवार एंड पिक्च र्स पर प्रसारित किया जाएगा।

–आईएएनएस


एएसएन/जेएनएस

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