मीरा सेठी ने पॉडकास्ट में पाकिस्तानी समाज पर बेबाकी से रखी बात

  • Follow Newsd Hindi On  

 इस्लामाबाद, 17 मार्च (आईएएनएस)| पाकिस्तानी अभिनेत्री मीरा सेठी हाल ही में तैमूर सलाउद्दीन (मूरू) के पॉडकास्ट में उपस्थित हुईं और इस दौरान वह पाकिस्तान में रहने वाली हर महिला की आवाज बनीं।

  उन्होंने औरतों को दी जानी वाली भूमिकाओं, औरत मार्च में हिंसा, खलील-उर-रहमान कमर और आमिर लियाकत जैसे पुरुषों को टेलीविजन की आवाज बनने की अनुमति देना जैसे कई विषयों पर बात की, जिनसे पाकिस्तानी समाज में महिलाओं की स्थिति साफ तौर पर झलकती है।


महिलाओं के लिए लिखी जाने वाली सीमित किरदारों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी नाटकों की बात करूं, तो इनमें महिलाओं का किरदार काफी उबाऊ होता है। आप या तो रोते हैं या आप पर कोई अत्याचार कर रहा होता है-यह काफी एक जैसा है।”

उन्होंने आगे कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि यहां कैरेक्टर-बेस्ड एक्टिंग के लिए ज्यादा अवसर उपलब्ध नहीं है और मुख्य भूमिकाओं में अभिनय करने के लिए आपको ‘बेहद खूबसूरत होने के ढांचे’ में फिट बैठना होगा।

टेलीविजन में लेखन के बारे में बात करते हुए, चर्चा ने कमर का रुख लिया और टेलीविजन पर महिलाओं व समलैंगिक लोगों पर रखी गई उनकी बात की भी मीरा ने जमकर आलोचना की।


मीरा ने महिला दिवस के अवसर पर पाकिस्तान में महिलाओं द्वारा लगाए गए नारे ‘मेरा जिस्म, मेरी मर्जी’ के बारे में भी अपनी बात रखी।

उन्होंने कहा, “कई लोगों का ऐसा कहना है कि यह मेरी जिंदगी, मेरी मर्जी होना चाहिए था या मेरा वजूद, मेरी मर्जी कहा जाना चाहिए था। बात दरअसल यह है कि जिस्म शब्द के चलते यह बात मर्दो को इतनी खटक रही है। जिस्म का तात्पर्य ही उनके लिए यौन संबंधों से है। जबकि मेरा जिस्म, मेरी मर्जी के तहत महिलाएं मौलिक रूप से यह कह रही हैं कि आपको मेरी जिंदगी, मेरे शरीर, मेरे फैसले, मेरे शर्तो को निर्धारित करने की कोई जरूरत नहीं है।”

मीरा ने इस पॉडकास्ट में पाकिस्तानी समाज से जुड़ी कई विषयों पर बड़ी ही बेबाकी से अपनी बात रखी।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)