New Education Policy: कैबिनेट ने दी नई शिक्षा नीति को मंजूरी, 34 साल बाद स्कूल-कॉलेज के सिस्टम में बड़े बदलाव

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केंद्र की मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy, 2019) को मंजूरी दे दी है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इसपर फैसला लिया गया। कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने बताया कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली शिक्षा में बड़े बदलाव किए गए हैं।

नई शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार (Right to Eductaion) कानून के दायरे को व्यापक बनाया गया है। अब 3 साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा। इसके अलावा स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट को खत्म कर दिया गया है। स्कूली शिक्षा के लिए एक नई विकास-उपयुक्त पाठ्यचर्या और शैक्षणिक संरचना ‘पांच प्लस तीन प्लस तीन प्लस चार’ डिजाइन पर विकसित की गई है।


आइए जानते हैं नई शिक्षा नीति, 2019 से जुड़ीं प्रमुख बातें…

1. नई शिक्षा नीति में छात्रों को चार विभिन्न वर्गों में बांटा गया है। पहले वर्ग में तीन से छह वर्ष की आयु के छात्र होंगे, जिन्हें प्री प्राइमरी या प्ले स्कूल से लेकर कक्षा दो तक की शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद कक्षा दो से पांच तक का पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। उसके उपरांत कक्षा पांच से आठ और फिर अंत में चार वर्षों के लिए नौ से लेकर 12वीं तक के छात्रों को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक कार्यक्रम बनाया गया है।

2. अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (co-curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम ( extra- curricular) नहीं कहा जाएगा।

3. नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल (life skills) और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है।


4. नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शैक्षणिक संस्थानों (High Education Institutions) में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई (High Quality Teaching) पर जोर दिया गया है। अब हाइयर एजुकेशन में वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा।

5. अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम का ढांचा भी बदला जाएगा। अब कोर्स के दौरान कई कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे।

6. पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है।

7. आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की है।

8. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 को भारतीय लोगों, उनकी परम्पराओं,संस्कृतियों और भाषाओँ की विविधता को ध्यान में रखते हुए तेज़ी से बदलते समाज की ज़रूरतों के आधार पर तैयार किया गया है।

9. शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुँच सुनिश्चित की गई है। इसके ज़रिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर – आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख – रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।

10. इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।

11. मूलभूत साक्षरता और मूल्य आधारित शिक्षा के साथ संख्यात्मकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्राथमिकता पर एक राष्ट्रीय साक्षरता और संख्यात्मकता मिशन स्थापित किया जाएगा। ग्रेड एक-तीन में प्रारंभिक भाषा और गणित पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। एनईपी 2020 का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रेड तीन तक के प्रत्येक छात्र को वर्ष 2025 तक बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान हासिल कर लेना चाहिए।

12. मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे। जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा। छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे। ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए करेगा।

नई शिक्षा नीति को लेकर हुई व्यापक चर्चा

नई शिक्षा नीति को लेकर सरकार की ओर से बताया गया कि इसको लेकर एक व्यापक चर्चा की गई है। 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई। लोगों से पूछा गया कि आप नई नीति में क्या बदलाव चाहते हैं। उच्च शिक्षा में हम 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो में 50 फीसदी तक पहुंचेंगे। इसके लिए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लाई जा रही है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, पाठ्यक्रम लचीलेपन पर आधारित होगा, ताकि शिक्षार्थियों को अपने सीखने की गति और कार्यक्रमों को चुनने का अवसर हो। इस तरह जीवन में अपनी प्रतिभा और रुचि के अनुसार वे अपने रास्ते चुन सकेंगे। कला और विज्ञान, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं आदि के बीच में कोई भेद नहीं होगा।

निशंक ने नई शिक्षा नीति के विषय में जानकारी देते हुए कहा, इससे सभी प्रकार के ज्ञान की महत्ता को सुनिश्चित किया जा सके, और सीखने के अलग-अलग क्षेत्रों के बीच के हानिकारक पदानुक्रमों और इनके बीच के परस्पर वर्गीकरण या खाई को समाप्त किया जा सके।

HRD मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा

उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन मंत्रालय को फिर से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। पहले इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था। साल 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था।

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