जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) अक्सर मोदी सरकार (Modi Govt) पर हमलावर रहते हैं। उनके भाषण के वीडियो आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में कन्हैया कुमार लगातार शामिल हो रहे हैं और मोदी सरकार को घेर रहे हैं। कन्हैया कुमार की बढ़ती लोकप्रियता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिंता में डाल दिया है। यह दावा समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में किया गया है।
रॉयटर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक करीबी सूत्र के हवाले से लिखा है कि युवाओं और पहली बार वोट देने जा रहे वोटरों के बीच कन्हैया कुमार की लोकप्रियता से मोदी सरकार चिंतित है। हालाँकि, रिपोर्ट में जानकारी देने वाले करीबी का नाम नहीं बताया गया है। रॉयटर्स की इस रिपोर्ट के मुताबिक, “केंद्र सरकार कन्हैया कुमार के व्यक्तिगत जीवन और उन्हें मिलने वाली फ़ंडिंग पर भी करीब से नज़र रख रही है।”
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार से ताल्लुक रखने वाले 33 वर्षीय कन्हैया कुमार पिछले कुछ हफ्तों में नागरिकता कानून पर बढ़ते विरोध के बीच मोदी के लिए एक बड़ी अड़चन और राजनीतिक चुनौती के तौर पर उभरे हैं। मोदी सरकार के आलोचकों का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों से भेदभाव करता है और देश के धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत को कमजोर करता है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सीएए के खिलाफ विश्वविद्यालय परिसरों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में कोई भी राजनीतिक नेता सक्रिय नहीं हैं। कुछ छात्रों का कहना है कि वे हांगकांग में सरकार-विरोधी विरोध से प्रेरित हैं। यूनिवर्सिटी कैंपसों में कन्हैया कुमार का “आजादी” वाला नारा एक एंथम बन गया है और उसकी रिकॉर्डिंग लगभग सभी जगह बजाई जाती है।
नागरिकता कानून के विरोध में बोले कन्हैया कुमार- सावरकर नहीं, भगत सिंह के सपनों का भारत बनाना है
वैसे देखा जाए तो नरेंद्र मोदी ने मजबूती के साथ एक के बाद एक राष्ट्रीय चुनाव जीता है और कन्हैया कुमार की पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर कोई खास पकड़ नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री के एक वरिष्ठ सहयोगी का कहना है कि सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि कन्हैया कुमार की बातें और भाषणों के जरिये फैलाए जा रहे संदेश पीएम मोदी और उनकी नीतियों को राजनीतिक रूप से कमजोर कर सकते हैं।
कन्हैया कुमार अपने भाषणों में लोगों का ध्यान देश में बढ़ती बेरोजगारी की ओर खींचते हैं। भारतीयों के लिए रोजगार पैदा करने में मोदी सरकार की विफलता को वह जोर-शोर से हाईलाइट कर रहे हैं। साथ ही वह मोदी सरकार की कट्टर हिंदुत्ववादी नीतियों पर जमकर निशाना साधते नज़र आते हैं। वह लोगों तक यह बात आसानी से पहुंचा पा रहे हैं कि मोदी सरकार देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान को मिटाने का कम कर रही हैं और अल्पसंख्यकों के लिए जीवन मुश्किल बना रही है।
कन्हैया कुमार के भाषणों को उनके समर्थकों द्वारा खूब देखा और फैलाया जाता है। उनके लगभग 2 मिलियन YouTube सब्सक्राइबर और एक मिलियन ट्विटर फॉलोअर्स हैं। उनके मोदी विरोधी नारे पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों मेंलगाए जाते हैं। हालांकि वह कई वर्षों से मोदी सरकार के सघन आलोचक रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर और बंटे हुए विपक्ष के चलते हालिया विरोध प्रदर्शनों ने उन्हें सुर्खियों में ला खड़ा किया है।