Happy Birthday Sehwag: दुनिया का सबसे विस्फोटक सलामी बल्लेबाज, जिससे हर गेंदबाज खौफ खाता था

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क्रिकेट की दुनिया के सबसे बेखौफ बल्लेबाजों में शूमार वीरेंद्र सहवाग का  20 अक्टूबर को 42वां जन्मदि हैं।  साल 1978 को दिल्ली के नजफगढ़ में जन्मे सहवाग ने करियर में सहवाग ने कई ऐतिहासिक पारियां खेली। जो क्रिकेट फैंस के जेहन में हमेशा के लिए कैद रहेगी।

दाएं हाथ के इस विस्फोटक बल्लेबाज ने 104 टेस्ट में 49.3 के धमाकेदार औसत से 8586 रन बनाए। सहवाग ने 251 वनडे मैचों में 35 की औसत से 8273 रन अपने खाते में जोड़े। सहवाग ने अपने इंटरनेशनल करियर में कुल 38 शतक लगाए। सहवाग के जन्मदिन के मौके पर आइए आपको बताते हैं उनकी जिंदगी के कुछ दिलचस्प किस्से और रिकॉर्ड-


एक ऐसा बल्लेबाज जिसके कई शॉट ऐसे होते थे जो न सिर्फ क्रिकेट बल्कि कभी-कभी गोल्फ और यहां तक की टेनिस के लगते थे। दरअसल सहवाग की बल्लेबाजी में अपने समांतर बल्लेबाजों से बिल्कुल जुदा थी, सहवाग का सारा खेल उनके आक्रमण पर टिका था।

जानकारों के मुताबिक सहवाग को 1999 विश्व कप के दौरान ही भारतीय टीम में शामिल करने की तैयारी हो चुकी थी, मगर पाकिस्तान की टीम के खिलाफ एक मैच में बेकार प्रदर्शन करने पर उन्हें दो साल तक लंबा इंतजार करना पड़ा। फिर दो साल बाद जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत दौरे पर आई तब जाकर चयनकर्ताओं की नज़र उन पर गई।

एक भारतीय खेलप्रेमी भला वो दिन कैसे भूल सकता हैं। जिसन दिन सहवाग का कद भारतीय क्रिकेट में अचानक से ऊंचा हो गया था। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान में खेले गई सीरीज के पहले टेस्ट में तिहरा शतक (309 रन) लगाने का अनोखा कारनामा कर दिखाया, जो इससे पहले कोई भारतीय नहीं कर पाया था।


सहवाग ने वो कर दिखाया जो उनसे कहीं ज्यादा प्रतिभाशाली खिलाड़ी नहीं कर सके थे। यहां तक कि सहवाग को ये तक पता ही नहीं था कि उन्होंने कोई रिकॉर्ड बना दिया है। ड्रेसिंग रूम में जब उन्हें इस बारे में बताया गया तो थोड़ा चकित होकर बोले, ‘मैंने सोचा किसी और ने 300 किया होगा कभी।’

टेस्ट हो या एकदिवसीय मैच या फिर टी20 उनके खेलने का अंदाज हमेशा एक जैसा रहता था, बल्कि वहीं बाकी खिलाड़ी खुद को तीनों खेल के फॉर्मेट के हिसाब से ढ़ालने में लगे रहते हैं। सहवाग ने जब पहली बार टीम इंडिया के लिए खेले थे तो उन्हें सचिन तेंदुलकर का सस्ता संस्करण कहा जाता था।

यही वजह थी कि बतौर सलामी बल्लेबाज हर तीन मैच में एक में शतक लगाने वाले सचिन तेंदुलकर ने उनके लिए सलामी बल्लेबाज की जगह छोड़ दी थी, क्योंकि अगर वह 40 ओवरों तक ध्यान से खेलें तो शतक बनाते हुए टीम के लिए बड़ा खड़ा कर सकते थे।

चेन्नई में जड़ा सबसे तेज तिहरा शतक

सहवाग ने चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 319 रनों की शानदार पारी खेली। इस पारी में सहवाग ने महज 278 गेंदों में तिहरा शतक जड़ा, जो कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सबसे तेज तिहरा शतक है। सहवाग दुनिया के इकलौते ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने टेस्ट में दो तिहरे शतक जड़ने के अलावा एक ही पारी में पांच विकेट भी चटकाए हैं।

इंदौर में जड़ा वनडे में दोहरा शतक

सहवाग ने आठ दिसंबर, 2011 को इंदौर के होल्कर स्टेडियम में वेस्टइंडीज केे खिलाफ वनडे क्रिकेट में भी दोहरा शतक लगाया था। तेंदुलकर के बाद इस मुकाम को हासिल करने वाले वीरू दूसरे बल्लेबाज बने। उनका रिकॉर्ड 2014 में रोहित शर्मा ने 173 गेंदों पर 264 रनों की पारी खेलकर तोड़ा।

शोएब से कहा, बाप आखिर बाप होता है

अक्सर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटरोने वाले सहवाग की हाजिरजवाबी का कोई जवाब नही है। लेकिन सहवाग अपने क्रिकेट जीवन में भी गेंदबाजों को चिढ़ाने के लिए काफी चर्चा बटोर चुके हैं। सहवाग ने एक बार पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शोएब अख्तर से कहा था, ‘बेटा बेटा होता है और बाप बाप होता है।’

इस मैच में शोएब लगातार बाउंसर करते हुए उन्हें हुक या पुल करने का इशारा कर रहे थे. जिस पर सहवाग ने कहा कि तुम्हारे पिताजी दूसरे छोर पर बल्लेबाजी कर रहे हैं, उन्हें यह बात बोलो। उन्होंने ये बात इसलिए कही क्योंकि दूसरे छोर पर सचिन तेंदुलकर बल्लेबाजी कर रहे थे और शोएब ने उन्हें बाउंसर फेंकी और तेंदुलकर ने हुक कर बेहतरीन छक्का जड़ा।

बचपन में सहवाग पर लगा था बैन!

वीरेंद्र सहवाग का जन्म एक व्यापारी के घर में हुआ था। सहवाग जब 12 साल के थे तो एक क्रिकेट मैच के दौरान उनका दांत टूट गया था जिसके बाद उनके पिता ने उनके क्रिकेट खेलने पर बैन लगा दिया था। लेकिन अपनी मां की मदद से उन्होंने एक बार फिर क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और उसके बाद उनके पिता ने सहवाग के दुनिया के हर गेंदबाज के दांत खट्टे करते हुए देखा।

गांगुली ने तराशा सहवाग का हुनर

अगर सहवाग सलामी बल्लेबाज के तौर पर बल्लेबाजी न करते तो वह इतने विस्फोटक बल्लेबाज कभी नहीं बन पाते। सहवाग ने जब अपने करियर की शुरुआत की थी, तब वह ओपनिंग नहीं किया करते थे। लेकिन साल 2002 में श्रीलंका के खिलाफ एक मैच में कप्तान गांगुली ने ही उनसे पहली बार ओपनिंग करवाई थी। गांगुली के इस फैसले को सहवाग ने सही साबित कर के दिखाया।

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