मप्र में अनुशासनात्मक कार्रवाई के डर से भाजपा के असंतुष्टों का माफीनामा

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भोपाल, 13 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का संगठन अपनी कार्यशैली और स्वरूप में बदलाव की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। उसका असर भी नजर आने लगा है। यही कारण है कि ग्वालियर में असंतोष का स्वर उठाने वालों को महज कुछ घंटों पर ही बैकफुट पर आकर माफी मांगनी पड़ी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा के हाथ आने के बाद पिछले दिनों पहली नियुक्तियां हुईं, और 22 जिलों में शहरी और ग्रामीण मिलाकर कुल 24 अध्यक्ष बनाए गए। इनमें अधिकांश नए चेहरे हैं। ये सभी युवा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि वाले हैं। इनमें से ग्वालियर के अध्यक्ष कमल माखीजानी को लेकर विरोध के स्वर तेज हुए। कथित तौर पर माखीजानी का एक थानेदार को धमकाने वाला ऑडियो भी वायरल हुआ था।


ग्वालियर में भाजपा के प्रमुख नेताओं ने एक बैठक कर संगठन के फैसले का विरोध तो किया ही, साथ में माखीजानी को हटाने की मांग की। कई नेताओं ने तो महामंत्री संगठन सुहास भगत पर भी गंभीर आरोप लगाए। प्रदेश संगठन के फैसले की पार्टी हाईकमान तक से शिकायत की गई थी।

पार्टी के फैसले के खिलाफ ग्वालियर से उठे विरोधी स्वर को लेकर प्रदेश संगठन ने सख्त तेवर अपनाए। साथ ही यह संकेत दिए कि आगामी समय में अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है। इससे खलबली मच गई। विरोध करने वाले नेताओं में एक वरिष्ठ नेता के करीबियों की संख्या ज्यादा थी। बाद में उसी नेता की मध्यस्थता के चलते विरोध करने वालों ने माफी मांग ली।

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि ग्वािलयर नगराध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं ने विरोध स्वरूप बैठक करके संगठन के निर्णय पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया था, उन्होंने अपने किए पर पश्चाताप किया है।


उन्होंने आगे बताया कि प्रदेशाध्यक्ष शर्मा को लिखे एक पत्र में पूर्व जिलाध्यक्ष देवेश शर्मा, जयसिंह कुशवाह, वेद प्रकाश शिवहरे, महेश उमरैया, शरद गौतम व अरुण सिंह तोमर सहित बैठक में उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने अपने किए पर क्षमा याचना की है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि लगभग 15 माह सत्ता से बाहर रहने के बाद सत्ता हाथ में आई है। वहीं संगठन की जिम्मेदारी संघ और पार्टी हाईकमान के करीबी शर्मा के हाथ में है। संगठन स्तर पर जो फैसले लिए जा रहे हैं, उनमें संघ व हाईकमान की सहमति है, लिहाजा जो भी विरोध करेगा या उंगली उठाएगा, उसे संघ और हाईकमान का विरोध माना जाएगा। जिसके चलते उस पर कार्रवाई तय है। यह संकेत पार्टी की ओर से लगातार दिए भी जा रहे हैं।

बीते कुछ सालों में यह पहला मौका है, जब पार्टी के फैसले का विरोध करने के बाद नेताओं ने पश्चाताप के साथ क्षमा याचना की हो। इससे पहले संगठन में नियुक्तियों का मामला हो या उम्मीदवारी का, जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक जमकर हंगामा हुए हैं। मगर कार्रवाई किसी पर नहीं हुई। ग्वालियर के जिन नेताओं को क्षमा-याचना करनी पड़ी है, वे प्रभावशाली हैं। इससे यह संकेत तो मिल ही रहा है कि भाजपा अनुशासन के मामले में सख्त हो रही है।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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