मप्र में कमलनाथ का सियासी ‘डबल अटैक’

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भोपाल, 29 जनवरी (आईएएनएस)| कहा जाता है कि राजनीति में जिसने भी पहली चाल चल दी, उसके बढ़त के आसार ज्यादा होते हैं, क्योंकि वादों और दावों का जमीनी हकीकत से कोई लेनादेना नहीं होता। मध्य प्रदेश की सत्ता में आई कांग्रेस अपने विरोधियों को हावी होने देने से पहले ही सियासी जाल फेंके जा रही है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सत्ता में आने के बाद ‘किसान और नौजवान’ की पीठ पर सरकार का हाथ होने का संदेश देकर भाजपा पर ‘डबल अटैक’ कर दिया है।


मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में किसानों के दो लाख तक के कर्ज माफ करने का वचन देकर सत्ता हासिल कर ली। इसके बाद उस वचन पर अमल भी तेज कर दिया है। अब कांग्रेस की नजर अगले लोकसभा चुनाव पर है। यही कारण है कि उसने किसानों के बाद नौजवानों पर दाव खेलते हुए गरीब शहरी युवाओं को रोजगार का अवसर देने ‘युवा स्वाभिमान योजना’ लागू करने का ऐलान किया है।

राज्य के वोट गणित पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि कुल पांच करोड़ चार लाख मतदाता हैं। इनमें युवा मतदाता जिनकी आयु 18 से 29 वर्ष है, वे 1,53,00000 से ज्यादा हैं। वहीं जिन किसानों का कर्ज माफ होने वाला है, उनकी संख्या 55 लाख के आसपास है। इस तरह किसान और नौजवान ही राज्य में लगभग 40 फीसदी मतदाता हैं। लिहाजा, ये दो वर्ग ऐसे हैं जिनके जरिए चुनावी वैतरणी को पार किया जा सकता है। यही कारण है कि सत्ता में आते ही कांग्रेस ने इन दो वर्गो को साधने की मुहिम छेड़ी है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक भारत शर्मा का कहना है कि पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केा किसानों का साथ मिला और उसे तीन राज्य में सत्ता हासिल हुई, अब कांग्रेस ने भाजपा के कोर वोटबैंक ‘युवा’ में सेंधमारी की कोशिश करते हुए ‘युवा स्वाभिमान योजना’ की घोषणा की है। इस तरह किसान कर्जमाफी और शहरी गरीब युवाओं को रोजगार की गारंटी देने का ऐलान कर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है।


उन्होंने कहा, “कमलनाथ भी इस बात को जानते हैं कि किसान और नौजवानों को साध लिया तो लोकसभा के चुनाव के नतीजे वर्ष 2014 के नतीजों से भिन्न होंगे।”

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री वी.डी. शर्मा का कहना है कि कांग्रेस ने सिर्फ लोगों के बीच भ्रम फैलाकर सत्ता हासिल कर ली है। किसानों को कर्जमाफी का कोई लाभ नहीं मिल रहा है, किसी के 13 रुपये, किसी के पांच रुपये माफ हो रहे हैं, ठीक वही हाल युवाओं के साथ कर रहे हैं। बेरोजगारी भत्ते की बात को भुला दिया है, नई योजना का ऐलान तो कर दिया, मगर रोजगार मिलेगा इसकी कोई बात नहीं है। प्रदेश का किसान और नौजवान लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को झूठे वादे करने का सबक सिखाएगी।

सामाजिक कार्यकर्ता मनाज बाबू चौबे का कहना है कि किसान कर्जमाफी योजना और उसके बाद शहरी गरीब युवाओं को रोजगार देने की घोषणा ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकती हैं। किसान कर्जमाफी में कई स्थानों पर गड़बड़ियां भी सामने आ रही हैं, तो उसका तुरंत निराकरण किया जा रहा है। इस कारण किसानों में नाराजगी नहीं पनप पा रही है। यह सरकार के लिए एक राहत की बात हो सकती है, वहीं शहरी युवाओं को रोजगार की बात ने नई आस जगा दी है। ग्रामीण युवाओं में इसको लेकर भ्रम है। योजना जब सामने आएगी, तभी उसके स्वरूप का पता चलेगा।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गणतंत्र दिवस के मौके पर शहरी गरीब युवाओं के लिए ‘युवा स्वाभिमान योजना’ का ऐलान किया है। इस योजना के तहत शहरी गरीब युवाओं को मनरेगा की तर्ज पर साल में 100 दिन का रोजगार मिलेगा और इस दौरान वे अपनी रुचि का प्रशिक्षण भी हासिल कर सकेंगे।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता सैयद जाफर का कहना है कि सरकार ने गांव और गरीब के लिए योजना बनाई है। किसान कर्जमाफी और शहरी युवाओं को रोजगार देने की योजना का मकसद है कि गांव व शहर, दोनों क्षेत्रों में पैसे की आवक बढ़े। जब दोनों स्थानों पर पैसा आएगा तो आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

उन्होंन कहा कि किसानों का कर्ज माफ करने से गांव में रकम आएगी, जिससे गांव की स्थिति में सुधार आएगा। युवा स्वाभिमान योजना में क्या होगा, इसका डाफ्ट तैयार हो रहा है। दो से तीन दिन में सामने भी आ जाएगा। इस योजना के लिए पंजीयन भी 10 फरवरी से शुरू होने वाला है।

भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्षा अभिलाष पांडे का कहना है कि कांग्रेस सरकार पूरी तरह झूठ और छलावा कर रही है। पहले किसानों को ठगा और अब युवाओं को छल रही है। कांग्रेस सिर्फ लोकसभा चुनाव में वोट चाहती है। उसे न तो किसानों की चिंता है और न ही नौजवानों की।

विधानसभा में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है। उसने बसपा, सपा और निर्दलीय के समर्थन से सरकार बनाई है। राज्य की 230 सीटों में से 114 कांग्रेस के पास और 109 भाजपा के पास है। वहीं लोकसभा की 29 सीटों में से कांग्रेस के पास सिर्फ तीन और भाजपा के खाते में 26 सीटें हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस अब भाजपा के खाते की सीटों पर कब्जा जमाना चाहती है और वह लगातार चुनाव जिताऊ दाव चल रही है।

 

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