मध्य प्रदेश में लगातार तल्ख हो रहे सिंधिया के तेवर, मिलावट पर सिलावट को घेरा

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Madhya Pradesh bypolls: कमल नाथ को सिर्फ कुर्सी और तिजोरी की चिंता थी: सिंधिया

 भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के तेवर लगातार तल्ख होते जा रहे हैं। वह जनता की समस्याओं पर बेबाक राय जाहिर करने में पीछे नहीं हैं, चाहे उससे कमलनाथ सरकार ही कटघरे में क्यों न खड़ी होती हो। राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद सिंधिया के ‘बोल’ अब ‘जनता के बोल’ बनने लगे हैं।

राज्य में मिलावट खोरों के खिलाफ ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान चल रहा है। बड़ी तादाद में मिलावटी सामान बरामद हो रहे हैं, कार्रवाइयां हो रही हैं, मिलावटखोर जेल भेजे जा रहे हैं, रासुका की कार्रवाई हो रही है, मगर मिलावट पर रोक नहीं लग पा रही है। इससे जनता के मन में सवाल लगातार उठ रहा है। सिंधिया ने अपरोक्ष रूप से यही बात सोमवार को ग्वालियर में कही थी।


राज्य के खाद्यमंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट का नाता सिंधिया से है। सिंधिया ने खाद्यमंत्री तोमर से साफ तौर पर कहा, “मिलावट खोरों को बख्शा नहीं जाना चाहिए, मगर मैं यह क्या सुन रहा हूं कि छापा पड़ने के बाद मिलावटखोरों को छोड़ा जा रहा है। मिलावट खोरों की जगह तो सिर्फ जेल है।”

मध्य प्रदेश सरकार का बड़ा कदम- मिलावटखोर के खिलाफ रासुका की पहली कार्रवाई

सिंधिया यहीं नहीं रुके, उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री सिलावट से कहा, “आप आर्डर निकालो कि आपके निर्देश के बिना कोई मामला खत्म नहीं होगा, नारा होना चाहिए ‘प्रदेश में सिलावट, नहीं होगी मिलावट’। किसी को राहत मत देना, जहां मिलावट हो वहां कार्रवाई नहीं, दोषी को सीधे जेल भेजा जाए।”

वहीं सिंधिया से पोलिटेक्निक के अतिथि व्याख्याता संघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे विजय कुमार याग्निक ने इस दौरान उन्हें बताया कि राज्य के इंजीनियरिंग और पोलिटेक्निक कॉलेज में अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण नहीं किया गया है, और भर्ती के लिए गेट परीक्षा की प्रारंभिक सूचना भी जारी कर दी गई है, जो कांग्रेस के वचनपत्र के खिलाफ है। कांग्रेस ने अतिथि विद्वानों को नियमित करने का वादा किया था।


सिंधिया ने प्रतिनिधिमंडल से साफ कह दिया कि कांग्रेस ने चुनाव में जो वचन दिया था, उसे पूरा किया जाएगा। इसके लिए वह भी उनके साथ हैं।

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा ने कहा, “सिंधिया राज्य की राजनीति में अपना स्थान बनाए रखने के लिए जनता की बात कह रहे हैं। यह माना जा सकता है कि इस तरह के बयान से भाजपा को लाभ हो सकता है, मगर अपनी सरकार को आइना दिखाना गलत नहीं है। सरकार पर दवाब बनाकर जनता की इच्छा के अनुरूप काम कराने से लाभ तो पार्टी को ही होगा, साथ ही वे राजनीति में अपनी प्रासंगिकता भी बनाए रखना चाहते हैं।”

सिंधिया के करीबी और चुनाव प्रचार अभियान समिति के संयोजक मनीष राजपूत का कहना है कि सिंधिया ने हमेशा ही जनता की बात की है, विकास के लिए उनका अभियान जारी रहा है, सरकार किसी भी दल की हो, एक राजनीतिक व्यक्ति का काम जनता की आवाज, समस्याओं को उठाना है और सिंधिया वही कर रहे हैं।

सिंधिया का मंत्रियों से मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान जारी रखने का कहना हो या मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की बात, यह सब जनता के हित में है। इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।

सिंधिया ने इससे पहले भी ग्वालियर-चंबल संभाग के प्रवास के दौरान (8 से 12 अक्टूबर) के दौरान भी लोगों से मिल रहे फीडबैक पर अपनी बेवाक राय जाहिर की थी। उन्होंने तबादले-पोस्टिंग पर सवाल उठाए थे। साथ ही, किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ न होने की बात कही थी। इतना ही नहीं, सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक के बाद एक चार पत्र लिखे थे। इन पत्रों में कार्यकर्ताओं की बात से लेकर जनता की मांगों का जिक्र था।


सिंधिया खतों के जरिए कमलनाथ को बता रहे जनता की समस्याएं

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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