मप्र में मॉब लिंचिंग पर वार-पलटवार

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भोपाल, 6 फरवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के धार जिले के मनावर में भीड़ द्वारा छह लोगों पर किए गए हमले और एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या किए जाने पर राज्य में सियासी वार-पलटवार हो रहे हैं। भाजपा ने तो कमलनाथ सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए विधानसभा के बजट सत्र में इस मसले को उठाने की बात कही है, वहीं कांग्रेस ने भाजपा शासनकाल में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाएं याद दिलाई है। ज्ञात हो कि धार के मनावर के बोरलाई गांव में बुधवार को कुछ लोगों द्वारा रकम की वसूली के लिए आए खेत मालिकों को बच्चा चोर बताकर भीड़ को उकसाया और उन पर हमला कर दिया। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई, वहीं पांच घायल हो गए। इस मामले में तीन लोगो की गिरफ्तारी हो चुकी है, विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, साथ ही थाना प्रभारी सहित पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।

इस घटना के बाद भाजपा के हमले तेज हो गए हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद राकेश सिंह ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि धार में जो हुआ है उससे प्रदेशवासियों का दिल दहल उठा है। ऐसी वीभत्सता तो दानव भी नहीं कर सकते जैसी इंसानों ने की है।


उन्होंने आरोप लगाया, “मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद से अपराधियों को प्रोत्साहित करने की अप्रत्यक्ष नीति पर काम किया जा रहा है। अपराधी के विरुद्ध कार्रवाई करने से पहले पुलिस के अधिकारियों को अपराधियों की जाति, धर्म और राजनैतिक संबंद्धता पता लगानी पड़ती है। जिस प्रदेश में अपराधियों के विरुद्ध एफआईआर मात्र करने पर आईपीएस अधिकारियों के तबादले हो जाते हों और पुलिस पर हमला करने वालों के विरुद्ध बल प्रयोग करने वाले पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाता हो, वहां इस प्रकार की घटनाओं को स्वभाविक रूप से प्रोत्साहन मिलेगा।”

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा , “धार के मनावर में हुई तालिबानी घटना समाज को शर्मसार करने वाली है। मध्यप्रदेश किस ओर बढ़ रहा है? यह घटना दर्शाती है कि प्रदेश में तालिबानी युग की शुरुआत हो चुकी है। पिछले एक साल में मध्यप्रदेश में दलितों-आदिवासियों पर अत्याचार और सौहार्द में खलल डालने वाली घटनाएं हुई हैं। कांग्रेस सरकार की उदासीनता के कारण ही प्रदेश में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। मनावर की इस घटना के लिए भी कमलनाथ सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। विधानसभा के बजट सत्र में मॉब लिंचिंग की इस घटना पर प्रमुखता से उठाकर सरकार से जवाब मांगेंगे।”

नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “मुख्यमंत्री कमलनाथ आपने एक साल में नया मध्यप्रदेश बना ही दिया। शांति का टापू कहा जाने वाला मध्यप्रदेश अब एक साल में हिंसा का अड्डा बन गया है।”


कांग्रेस के प्रदेश मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा, “मनावर की घटना को राज्य सरकार और प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। 45 आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करते हुए, एसआईटी गठित कर, तेज गति से गिरफ्तारियां भी शुरू कर दी गई हैं। थाना प्रभारी सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है। दुखद है कि ऐसे संवेदनशील और गंभीर मुद्दे पर भी, भाजपा अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का अवसर देख रही है, जिसका नेता और सरपंच रमेश जूनापानी स्वयं घटना में शामिल था।”

ओझा ने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा, “भीड़ द्वारा की गई हिंसा की उक्त घटना से चिंतित भाजपा के नेता, यह नहीं बता रहे हैं कि ऊना, दादरी, अलवर और झारखंड जैसी सैकड़ों घटनाओं में हुई मॉब लिंचिंग के वक्त, उनकी संवेदनशीलता और मुखरता कहां चली गई थी? भाजपा नेताओं को यह भी बताना चाहिए कि जब सुप्रीम कोर्ट ने भीड़-तंत्र पर सख्त कानून बनाने के निर्देश केंद्र सरकार को वर्ष 2018 में दिए थे, तब वह कानून मोदी सरकार ने क्यों नहीं बनाया और जब राजस्थान और मध्यप्रदेश की नवगठित कांग्रेस सरकारों ने भीड़-तंत्र के खिलाफ कानून बनाया तो भाजपा ने उस कानून का जमकर विरोध क्यों किया था?”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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