बिहार: मतदाताओं को ‘सजनी’ रास आई न ‘सैंया’, दोनों हारे

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बिहार: मतदाताओं को 'सजनी' रास आई न 'सैंया', दोनों हारे

पटना। बिहार से इस लोकसभा चुनाव में दो दंपति ने संसद पहुंचने की कोशिश की थी परंतु मतदाताओं ने न सिर्फ ‘सजनी’ को नकार दिया, बल्कि ‘सैंया’ भी यहां के मतदाताओं को पसंद नहीं आए। यही कारण है कि पति-पत्नी का साथ-साथ संसद पहुंचने का सपना टूट गया।

देश में चर्चित पटना साहिब सीट पर विपक्षी दलों के महागठबंधन द्वारा उतारे गए कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद के सामने मुंह की खानी पड़ी है वहीं शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी और समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर उत्तर प्रदेश की लखनऊ सीट से उम्मीदवार पूनम सिन्हा को भी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने करारी शिकस्त दी है।


पटना साहिब से भाजपा के प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद ने वहां के तत्कालीन सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को 2़ 84 लाख मतों के बड़े अंतर से पराजित किया वहीं उनकी पत्नी पूनम सिन्हा को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 3़ 47 वोटों लाख से हरा दिया।

फिल्मों में सफल अभिनेता के रूप में पहचान बना चुके शत्रुघ्न ने वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा की टिकट पर दूसरी बार सांसद बनकर इस क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया परंतु इस चुनाव के पहले उन्होंने पाला बदलते हुए कांग्रेस का ‘हाथ’ थाम लिया। इस चुनाव में उन्हें पाला बदलना शायद पटना साहिब के मतदाताओं को पसंद नहीं आया और उनके इस क्षेत्र से ‘हैट्रिक’ बनाने के पहले ही मतदाताओं ने उन्हें आउट कर दिया।

उल्लेखनीय है कि शत्रुघ्न दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं तथा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार में कैबिनेट मंत्री का भी दायित्व संभाल चुके हैं।


इस चुनाव में मधेपुरा के निवर्तमान सांसद पप्पू यादव भी नहीं जीत सके और न ही सुपौल से उनकी पत्नी रंजीत रंजन जीत का परचम लहरा सकीं। मधेपुरा से जनता दल – युनाइटेड (जद-यू) के दिनेशचंद्र यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी शरद यादव को तीन लाख से अधिक के अंतर से पराजित किया। जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव को यहां बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा और उन्हें तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा।

इधर, सुपौल में कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन को भी हार का सामना करना पड़ा। रंजीत रंजन यहां से पिछली बार सांसद थी जबकि उनके पति पप्पू यादव मधेपुरा से सांसद थे। इस चुनाव में इन दोनों की हार ने साबित कर दिया कि जनता अब पति-पत्नी को संसद में नहीं चाहती।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में राजद समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पप्पू मधेपुरा लोकसभा सीट से जद-यू के शरद यादव को परास्त कर संसद पहुंचे थे। पप्पू ने 2015 में खुद की जन अधिकार पार्टी बना ली थी।

गौरतलब है कि पप्पू ने विपक्षी दल के महागठबंधन में शामिल होने का प्रयास किया था परंतु वे सफल नहीं हो सके।

उधर, उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ लोकसभा सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को ढाई लाख से अधिक मतों से पराजित कर दिया परंतु उनकी पत्नी डिंपल यादव को कन्नौज लोकसभा सीट से करीबी टक्कर में भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक से 10 हजार से ज्यादा मतों से हार का सामना करना पड़ा।

बहरहाल, इस लोकसभा परिणाम से इतना तय है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को संसद में पति-पत्नी का साथ पसंद नहीं है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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