मूल्य वर्धित डेयरी प्रोडक्ट उत्पादन 15 फीसदी दर से बढ़ने की संभावना

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जयपुर, 13 मार्च (आईएएनएस)| देश में एक तरफ पैकेज तरल दूध ने डेयरी उद्योग के एक प्रमुख चालक के तौर पर अपनी पहचान कायम रखी है, वहीं मूल्य वर्धित डेयरी उत्पादों में भी 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद नजर आ रही है। वैल्यू एडेड डेयरी प्रोडक्ट जैसे चीज, यूएचटी दूध, आइसक्रीम और बेबी फूड सेगमेंट में अपेक्षित वृद्धि की संभावना जताई जा रही है। विशेष बात यह है कि केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री ने पिछले दिनों लोकसभा को सूचित किया था कि 2016-17 के दौरान देश में दूध का उत्पादन 16.54 करोड़ टन था, जो 2017-18 में बढ़कर 17.63 करोड़ टन हो गया।

उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, दुनियाभर में कुल दूध उत्पादन में भारत का हिस्सा लगभग 17 प्रतिशत है।


साल 2021-22 में अनुमानित 25.45 करोड़ टन दूध उत्पादन के साथ भारत दुनिया में सबसे बड़े दूध उत्पादक देश का दर्जा हासिल कर लेगा। राबोबैंक विश्लेषण के अनुसार, 2016-17 में बड़े पैमाने पर भारतीय डेयरी बाजार लिक्विड मिल्क (64 प्रतिशत), वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स (25 प्रतिशत), घी (7 प्रतिशत) और मिल्क पाउडर (4 प्रतिशत) में विभाजित किया गया था।

डेयरी सेगमेंट में वैल्यू एडेड प्रोडक्ट में साल दर साल 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है, जिनमें पनीर, यूएचटी दूध, दही, बेबी फूड्स, आइसक्रीम, मक्खन, फ्लेवर्ड मिल्क और डेयरी व्हाइटनर जैसे विभिन्न उत्पाद शामिल हैं।

लोटस डेयरी प्रोडक्ट्स के डायरेक्टर अनुज मोदी कहते हैं, “2020 तक डेयरी उद्योग में वैल्यू एडेड मार्केट के 30 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। भारतीय संगठित डेयरी क्षेत्र को मूल्य वर्धित बाजार के लिए प्रोक्योरमेंट और प्रोसेसिंग लाइन को मजबूत करने की आवश्यकता है। दूसरी ओर, डेयरी उद्योग स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं की बहुत सख्ती से निगरानी कर रहा है और दूध और मूल्य वर्धित उत्पादों में पोषण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि असंगठित बाजार में ऐसा नहीं हो पा रहा है।”


अमेरिकी डेयरी उद्योग भारतीय बाजारों तक पहुंच बढ़ाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डाल रहा है। भारत को दी जाने वाली तरजीही व्यापार की स्थिति को समाप्त करने के लिए अमेरिकी प्रशासन के हाल के फैसले का अमेरिकी डेयरी उद्योग ने गर्मजोशी से स्वागत किया था। यदि भविष्य में दोनों देश सद्भावपूर्ण वार्ता के साथ हाथ मिलाएंगे, तो छोटी, संगठित डेयरी कंपनियां कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकती हैं या वे संयुक्त उद्यम संबंधी संभावनाओं को तलाश सकती हैं।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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