Mumbai Sero Survey: मुंबई में कए गए सीरो सर्वे रिपोर्ट में पता चला है कि यहां कि झुग्गी बस्तियों में रहने वाले 57% लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई, वहीं रिहायशी इलाकों में 16% लोगों में एंटीबॉडी बनी है। इस सीरो सर्वे को बीएमसी ने नीति आयोग और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के साथ मिलकर किया था।
इस सर्वे से जुड़े लोगों का कहना है कि झुग्गियों जैसे तंग इलाक़ों में एक ही शौचालय कई लोगों द्वारा इस्तेमाल की वजह से यहां रहने वाले लोगों को कोरोना होने के ख़तरा बाक़ी लोगों की तुलना में कई गुना ज़्यादा है। सर्वे में पता चला है कि इन बस्तियों में रहने वाले लोगों में से कम से कम 40 प्रतिशत को यह संक्रमण हुआ है।
कोरोना के प्रसार और लोगों में इससे बचने के लिए पैदा होने वाली इम्युनिटी को जांचने के लिए 6,936 लोगों का सीरो सर्वे किया गया था। बीएमसी के 3 वॉर्ड (आर/एन, एम/डब्ल्यू और एफ/एन) में सर्वे किया गया। झुग्गी बस्तियों में रहने वाले करीब 4 हजार लोगों के ब्लड सैंपल्स लिए गए।
इस सर्वे में यह भी पता चला है कि यहां संक्रमण पुरूषों की तुलना में औरतों को ज़्यादा हुआ है। सर्वे में यह भी पता चला है कि स्लम बस्तियों में संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा होने के बावजूद यहां कोरोना वायरस की वजह से मौत की दर काफ़ी धीमी रही है। इस सर्वे से जुड़े एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा है कि मृत्यु दर कम रहने के की कारण हो सकते हैं।
उनमें से शायद एक कारण तो यह है कि स्लम बस्तियों में आबादी का बड़ा हिस्सा युवा है। इस सर्वे में शामिल सभी करीब 7000 लोगों में से किसी ने भी कोरोना का RT-PCR टेस्ट नहीं कराया था यानी या तो इन लोगों को संक्रमण के लक्षण थे ही नहीं या फिर इनमें बेहद हल्के लक्षण दिखाई दिए थे।
यह सर्वे पिछले दो सप्ताह में दहीसर, चेंबुर और माटुंगा में किया गया है। इस सर्वे में 10 साल के बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग लोगों तक को भी शामिल किया गया था। मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के मंगलवार को 717 नए मामले सामने आए, जो दो महीनों से अधिक समय में किसी एक दिन की सबसे कम संख्या है. वहीं, इस महामारी से महानगर में 55 और लोगों की मौत हो गई है।