बेंगलुरु: मुसलमानों ने कायम की मिसाल, हिंदू परंपरा से बंगाली युवक का किया अंतिम संस्कार

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बेंगलुरु: मुसलमानों ने कायम की मिसाल, हिंदू परंपरा से बंगाली युवक का किया अंतिम संस्कार

कोरोना महामारी के इस दौर में भेदभाव और सद्भाव दोनों तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। कर्नाटक में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें चार मुसलमानों ने मिलकर एक युवक का अंतिम संस्कार हिंदू संस्कारों के अनुसार करवाया। दरअसल, राजधानी बेंगलुरु में संजय साहा नामक एक कोरोना संक्रमित मरीज की मौत हो गई। अपने घर से दूर रहे संजय के अंतिम संस्कार के लिए आने में उसके घरवालों ने असमर्थता जाहिर की। जिसके बाद बेंगलुरु के ही कुछ लोगों ने मृतक का अंतिम संस्कार करवाया।

नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मूलतः पश्चिम बंगाल का निवासी संजय, सिंगासंद्रा इलेक्ट्रॉनिक सिटी के एक पीजी में रहता था। शनिवार को सीने में दर्द की शिकायत के बाद उसे प्रशांत हॉस्पिटल ले जाया गया। बाद में उसे सेंट जॉन्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां शाम 7:30 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया। अगले ही दिन संजय के परिवार के ही अनुपम साहा ने बीजिंग बाइट्स के मोहम्मद इब्राहिम अकरम से संपर्क किया और संजय के अंतिम संस्कार के लिए उनसे मदद मांगी। अकरम राजी हो गए और उन्होंने पंडित बुलाया और कागजी कार्रवाई पूरी कराई। संजय के परिवार के मुताबिक ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।


चार मुस्लिमों ने मिलकर कराया अंतिम संस्कार

अकरम ने बताया- ‘मुझे अनुपम साहा ने फोन किया और बताया कि उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति बेंगलुरु में मौजूद नहीं है। उन्होंने मुझसे अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगी तो मैंने तुरंत काम शुरू कर दिया।’ मार्च में लॉकडाउन की शुरुआत से ही जरूरतमंदों में खाना बांटने का काम कर रहे अकरम ने इसे अपनी जिम्मेदारी के तौर पर लिया। मर्सी ऐंजेल्स संस्था के तनवीर अहमद ने कहा कि अनुपम साहा ने एक लेटर जारी करके हमें संजय का शव लेने की इजाज़त दी।

रिपोर्ट के मुताबिक, संजय का शव लेने के लिए अकरम और तनवीर ने पूरा एक दिन थाने में गुजार दिया और कागजी कार्यवाही पूरी की। संजय के परिवार से किसी के ना आने के कारण अकरम ने खुद आगे आकर उस शख्स की जिम्मेदारी ली, जिससे उनकी कोई जान-पहचान भी नहीं थी। अकरम कहते हैं कि मैंने अंतिम संस्कार किया और संजय के परिवार की इच्छा पूरी की। पंडित ने मुझे संजय के शव की राख दे दी है मैं उसे नदी में प्रवाहित कर दूंगा। उम्मीद करता हूं कि संजय की आत्मा और उनके परिवार को शांति मिलेगी।


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