Nag Panchami 2020: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के साथ ही उनके वाहनों और प्रतीकों की पूजा-अर्चना करने की भी परंपरा है। नाग पंचमी भी ऐसा ही एक पर्व है जिसमें सांप या नाग को देवता (Nag Devta) मानकर उनकी पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन सांपों को दूध भी पिलाते हैं।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण या सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी (Nag Panchami) का त्योहार मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक नागपंचमी (Nag Panchami) हर साल जुलाई या अगस्त महीने में पड़ता है। आज देशभर में नागपंचमी मनाई जा रही है।
पंचमी तिथि का प्रारंभ 24 जुलाई की दोपहर 02:34 PM से हो चुका है जिसकी समाप्ति 25 जुलाई को 12:02 PM पर होगी। नाग पंचमी की पूजा पंचमी तिथि समाप्त होने तक की जा सकती है लेकिन इसका सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 05:39 से 08:22 तक रहेगा। जिसकी कुल अवधि 02 घण्टे 44 मिनट की है।
इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन रुद्राभिषेक करना बड़ा ही फलदायी माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में तांबे का सर्प बनवाकर उसकी पूजा कर शिवलिंग पर चढ़ाएं तथा इससे पूर्व एक रात उसे घर में ही रखें। जल, दूध, फलों के रस, सरसों के तेल, शहद मिश्रित गंगा जल या फिर घी व शहद से रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
नाग पंचमी (Nag Panchami) की पूजा विधि-
– नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाएं।
– मन में व्रत का सकंल्प लें।
– नाग देवता का आह्वान कर उन्हें बैठने के लिए आसन दें।
– फिर जल, पुष्प और चंदन समर्पित करें।
– दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को स्नान कराएं।
– इसके बाद प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढ़ाना चाहिए।
– फिर लड्डू और मालपुए का भोग लगाएं।
– फिर सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप-दीप, ऋतु फल और पान का पत्ता चढ़ाने के बाद आरती करें।
– नाग पंचमी (Nag Panchami) की पूजा का मंत्र इस प्रकार है: “ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा”।
– शाम के समय नाग देवता की फोटो या प्रतिमा की पूजा कर व्रत तोड़ें और फलाहार ग्रहण करें।