आज देश भर में ‘राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस’ (National Doctor Day) मनाया जा रहा है। हर साल की 1 जुलाई को यह दिन मनाया जाता है। इसका उद्देश्य डॉक्टर्स के योगदान का सम्मान करना है।
किसी के जीवन में भी डॉक्टर्स का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे ही होते हैं, जो हमारे जीवन को स्वस्थ रखने में हमारी मदद करते हैं और हमे दूसरा जीवनदान देते हैं। जितनी मुश्किल एक डॉक्टर की पढ़ाई होती है, उतना ही मुश्किल होता है इस काम को करना। लेकिन डॉक्टर्स ऐसा करते हैं। उनको सम्मान देने के लिए ही हर साल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।
डॉक्टर डे 2019: थीम
हर वर्ष डॉक्टर्स डे की एक थीम तय की जाती है और उसी थीम के आधार पर यह दिन मनाया जाता है। इस बार डॉक्टर्स डे की थीम ‘डॉक्टरों के प्रति हिंसा को लेकर जीरो सहनशीलता’ (Zero Tolerance to Violence Against Doctors and Clinical Establishment) है। इस थीम को चुनने का मुख्य कारण पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के साथ हिंसा की घटना के बाद से पूरे देशभर के डॉक्टरों में जबरदस्त आक्रोश है।
डॉक्टर डे मनाने का उदेश्य
डॉक्टर्स डे महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ.बिधानचंद्र रॉय की याद में मनाया जाता है। आज ही के दिन उनकी जयंती व पुण्यतिथि है। इस दिन देश भर के सभी डॉक्टर्स को सम्मान दिया जाता है और हमारे जीवन में उनके महत्व के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है।
डॉ. बिधानचंद्र रॉय
डॉ. बिधानचंद्र रॉय की याद में हर साल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। वह एक डॉक्टर और मुख्यमंत्री होने के साथ- साथ समाज के बारे में भला सोचने वाले भी थे। उन्होंने अपनी तमाम उम्र स्वास्थ्य सुविधाओं को आम जनता तक पहुंचने में लगा दी। डॉ. रॉय की पहल पर ही कोलकाता के कई बड़े हॉस्पिटल शुरू हुए।
वह पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे राजनीति में आने के बाद उन्होंने कई संस्थाओं, नगरों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की थी। 1928 में इंडियन मेडिकल असोसिएशन (Indian Medical Association) और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) की स्थापना में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई। वह कई बड़े पदों पर रहे, लेकिन हर दिन गरीब मरीजों का इलाज अक्सर मुफ्त में करते थे। 1961 में मृत्यु से ठीक पहले उन्होंने अपना घर और संपत्ति जनता के नाम कर दी थी। 4 फरवरी, 1961 को उन्हें ‘भारत रत्न’ भी दिया गया था।
डॉ. बिधानचंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था। और उनका निधन भी 1962 में 1 जुलाई को हुआ उनकी जयंती और पुण्यतिथि एक ही दिन होती है।