नेहरू-गांधी परिवार पर भरोसा है, इसलिए सोनिया अंतरिम अध्यक्ष बनाई गईं : बघेल (साक्षात्कार)

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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)| छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि आम लोगों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नेहरू-गांधी परिवार पर भरोसा है, इसीलिए सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के सरकार के फैसले को लेकर पार्टी नेताओं के बीच मतभेद होना समझ में आता है, क्योंकि फैसले ने उन्हें हैरान कर दिया था।


आईएएनएस के साथ खास बातचीत में बघेल ने कहा कि राहुल गांधी ने वादा किया था कि अगर लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार होती है तो वह पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे, और उन्होंने अपना वादा निभाया है। बघेल ने कहा, “पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वह अपने फैसले पर कायम रहे।”

इस सवाल पर कि क्या सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने से वंशवाद की संस्कृति के विचार को फिर से बढ़ावा नहीं मिला है? बघेल ने कहा, “लोगों को नेहरू-गांधी परिवार पर भरोसा है। दूसरे लोग जो कह रहे हैं, उसका कोई मतलब नहीं है। सच्चाई यह है कि कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का गांधी परिवार पर अधिक भरोसा और निष्ठा है और इसीलिए 10 अगस्त को सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।”

उनकी नियुक्ति का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, “राहुल गांधी चाहते थे कि गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी का नेतृत्व करे, लेकिन देश भर से आवाज राहुल गांधी के लिए थी। लेकिन जैसा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद को ना कह दिया, यह पद फिर से सोनिया गांधी को दे दिया गया, जिसे उन्होंने पार्टी के कई नेताओं द्वारा अनुरोध करने के बाद स्वीकार किया।”


गांधी परिवार द्वारा देश की आजादी और विकास में दिए गए योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “उनके द्वारा किए गए बलिदानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। गांधी परिवार ने कठिन परिस्थितियों में पार्टी का नेतृत्व किया है, चाहे वह स्वतंत्रता आंदोलन रहा हो या आजादी के बाद।”

सोनिया गांधी के राजनीतिक कौशल को याद करते हुए बघेल ने कहा, “उन्होंने राजनीति को ना कहा और उसके बाद (सीताराम) केसरीजी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन वह कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के आग्रह पर राजनीति में शामिल हुईं। जब पार्टी ने नेतृत्व को लेकर कई मुद्दों का सामना किया, उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने केंद्र में दो बार और कई राज्यों में सरकारें बनाई।”

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा, “यह गांधी परिवार के साथ लोगों का अटूट रिश्ता है और यह भरोसा खत्म नहीं होगा।”

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के भाजपा सरकार के फैसले पर पार्टी में मतभेदों पर उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 और 35ए के मुद्दों पर, सरकार को विपक्ष और सभी हितधारकों को भरोसे में लेना चाहिए था, जो उन्होंने नहीं किया।”

उन्होंने कहा, “उन्होंने अचानक प्रस्ताव लाकर (राज्यसभा में) सभी को चौंका दिया। जब ऐसी चीजें होती हैं, तो अलग-अलग आवाजें उठती हैं।”

बघेल ने कहा, “लेकिन कांग्रेस कार्यकारिणी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में इसी मुद्दे पर उन्हीं नेताओं की आवाज एक थी।”

उन्होंने घाटी में प्रतिबंध व नेताओं की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा, “अचानक निर्णय लेने के कारण मतभेद उभर कर सामने आए। इसके अलावा, जिन लोगों के लिए निर्णय लिया गया, वे लॉकडाउन के कारण इससे अनजान थे।” उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह सब किया गया, वह असंवैधानिक है।

चीन के इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने और इसका अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश पर बघेल ने कहा, “भारत सरकार को यह तय करना होगा कि वह उठाए गए कदम के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपना बचाव करने की योजना कैसे बनाएगी।”

आरक्षण को बढ़ाकर 72 प्रतिशत करने के अपनी सरकार के निर्णय पर बघेल ने कहा, “राज्य की अधिकतम आबादी ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की है। उन्हें मुख्यधारा में लाने और उनके विकास के लिए, हमने आरक्षण सीमा बढ़ाने का फैसला किया है।”

बघेल सरकार ने एसटी के लिए आरक्षण में बदलाव नहीं करते हुए ओबीसी के लिए आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी और एससी के लिए एक फीसदी कर दिया है। छत्तीसगढ़ में नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 58 फीसदी सीटें आरक्षित हैं।

आरक्षण की नई व्यवस्था लागू हो जाने के बाद छत्तीसगढ़ आरक्षण के मामले में तमिलनाडु से आगे निकल जाएगा, जहां 69 प्रतिशत आरक्षण है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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