निजी कंपनियों के लिए सभी क्षेत्र खुले रहेंगे : वित्तमंत्री

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नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। केंद्र सरकार एक नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति लेकर आएगी और सभी क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिए खोल देगी। यह बात केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कही।

यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) कुछ परिभाषित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


नई नीति के तहत, जनहित में सार्वजनिक उपक्रमों की उपस्थिति की आवश्यकता वाले रणनीतिक क्षेत्रों की एक सूची अधिसूचित की जाएगी और इन क्षेत्रों में कम से कम एक उद्यम सार्वजनिक क्षेत्र में रहेगा और निजी क्षेत्र को भी अनुमति दी जाएगी।

निर्मला ने विशेष रूप से घोषणा की कि अन्य गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में सभी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का निजीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निजीकरण का समय व्यवहार्यता और अन्य कारकों पर निर्भर करेगा।

मंत्री ने कहा कि बेकार की प्रशासनिक लागतों को कम करने के लिए रणनीतिक क्षेत्र में उद्यमों की संख्या आमतौर पर केवल एक से चार होगी और अन्य का निजीकरण, विलय या इन्हें होल्डिंग कंपनियों के तहत लाया जाएगा।


सभी क्षेत्रों में निजी कंपनियों को अनुमति देने के निर्णय के अनुरूप वित्तमंत्री ने शनिवार को कोयले के वाणिज्यिक खनन की घोषणा की थी, जहां कोई भी दल कोयला ब्लॉक के लिए बोली लगा सकता है। यह निर्णय कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के एकाधिकार को खत्म करने वाला है।

इसके अलावा शनिवार को की गई घोषणाओं के अनुसार, केंद्र निजी कंपनियों को अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम और परमाणु ऊर्जा अनुसंधान रिएक्टरों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी की अनुमति देगा।

विनिवेश योजनाओं के बीच, केंद्र पहले से ही एयर इंडिया को बेचने की कोशिश कर रहा है, जिसका सौदा अभी तक नहीं हुआ है। इसके अलावा तेल पीएसयू बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री भी शुरू की गई है, लेकिन यह कार्य कोविड-19 के कारण प्रभावित हो गया है।

इस दिशा में अगला नंबर भारत पर्यटन विकास निगम सहित अन्य कंपनियों का भी हो सकता है। इसके अलावा बिजली, तेल और गैस क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की समेकन और रणनीतिक बिक्री इस वर्ष की जा सकती है। सरकार बिजली उपकरण निर्माता भेल और इस्पात निर्माता सेल की कुछ उत्पादन इकाइयों की बिक्री के साथ आगे बढ़ सकती है।

अगर नई नीति और निजीकरण योजना फायदा पहुंचाती है तो भारत को अपने विनिवेश लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

वित्तवर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने विनिवेश लक्ष्य को 1.20 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। पिछले साल सरकार सिर्फ 65,000 करोड़ रुपये का विनिवेश हासिल कर सकी थी, जबकि मूल लक्ष्य 1,05,000 करोड़ रुपये था।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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