भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) के साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से यह अवॉर्ड वैश्विक गरीबी कम किए जाने के प्रयासों के लिए मिला है। बहुत कम लोग जानते हैं कि अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) दिल्ली की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र भी रहे हैं। इतना ही नहीं, JNU में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान अभिजीत को गिरफ्तार भी किया गया था और उन्हें 10 दिनों तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था।
साल 1983 में गए थे जेल, जेएनयू से कर रहे थे एमए
ये वाकया साल 1983 का है। तब अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) जेएनयू (JNU) में पढ़ाई कर रहे थे। दरअसल, जेएनयू के स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट एनआर मोहंती को कैंपस से निष्कासित कर दिया गया था। इस निष्कासन का अभिजीत बनर्जी सहित कई छात्रों ने जबरदस्त विरोध किया था। उस दौरान सैकड़ों छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में विरोध-प्रदर्शन किया था। इन छात्रों में अभिजीत भी शामिल थे। इन सभी छात्रों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और इन्हें 10 दिन तिहाड़ जेल में गुजारना पड़ा था।
तिहाड़ में पिटाई भी हुई थी – अभिजीत
इस घटना का जिक्र खुद अभिजीत ने हिंदुस्तान टाइम्स में लिखे एक लेख में किया था। उन्होंने लिखा है, “ये साल 1983 की गर्मियों की बात है। हम जेएनयू के छात्रों ने वाइस चांसलर का घेराव किया था। वाइस चांसलर हमारे स्टुडेंट यूनियन के अध्यक्ष को कैंपस से निष्कासित करना चाहते थे। उस वक्त देश में कांग्रेस की सरकार थी। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने सैकड़ों छात्रों को हिरासत में ले लिया था। हम सभी को दस दिनों तक तिहाड़ में रहना पड़ा था। हमारी पिटाई भी की गई थी। हमारे ऊपर हत्या की कोशिश के आरोप तक लगे थे।”
कौन हैं अभिजीत बनर्जी
आपको बता दें कि अभिजीत बनर्जी का जन्म कोलकाता में हुआ था। उनके माता-पिता भी अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे। उनके पिता कोलकाता के मशहूर प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे। अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी में शुरुआती पढ़ाई की। इसके बाद अर्थशास्त्र में एमए के लिए वह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी चले गए थे।
अभिजीत ने हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में साल 1988 में पीएचडी की। बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं। 58 साल के अभिजीत फिलहाल अमेरिका की मेसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। अभिजीत और इनकी पत्नी डुफलो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के सह-संस्थापक भी हैं।
लगातार अर्थशास्त्र पर लेख लिखने वाले अभिजीत बनर्जी ने चार किताबें भी लिखी हैं। उनकी किताब पुअर इकनॉमिक्स को ‘गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर’ का खिताब भी मिला है। अभिजीत ने दो डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का डायरेक्शन भी किया है। इसके अलावा उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी सेवाएं भी दी हैं।