लाहौर, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| लाहौर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को चौधरी शुगर मिल भ्रष्टाचार मामले में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को चिकित्सा आधार पर जमानत दे दी।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने अपने भाई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की रिहाई के लिए जमानत अर्जी दायर की थी। नवाज वर्तमान में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की हिरासत के साथ यहां के सर्विसेज अस्पताल में भर्ती हैं।
एक जवाबदेही अदालत ने इस महीने की शुरुआत में एनएबी को चौधरी शुगर मिल मामले के सिलसिले में नवाज शरीफ की 14 दिन की रिमांड मंजूर की थी और शुक्रवार को यह रिमांड समाप्त हो गई।
इससे पहले दिन में अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गईं।
न्यायाधीश बाकर नजफी की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने याचिका पर सुनवाई की।
भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी के वकील ने अदालत से कहा, “नवाज शरीफ सहित हर जीवन अनमोल है।” उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की स्थिति उपचार योग्य है।
सोमवार की रात भर्ती होने के बाद सर्विसेज अस्पताल में अयाज महमूद की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने गुरुवार को पुष्टि की थी कि नवाज शरीफ इम्यून थ्रोम्बोकाइटोपेनिक पुरपुरा (आईटीपी) रोग से पीड़ित हैं। यह एक प्रकार का रक्तस्राव विकार है, जिसमें प्लेटलेट्स की संख्या काफी कम हो जाती है।
डॉक्टरों ने कहा है कि बीमारी का इलाज किया जा सकता है।
नवाज शरीफ के वकील अशतर औसाफ ने शुक्रवार को अदालत को अदालत को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री की स्थिति बेहद गंभीर है।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अयाज ने अदालत को बताया कि उनकी प्लेटलेट काउंट लगातार कम हो रही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल ने यह देखने के लिए परीक्षण किए थे कि क्या पूर्व नेता डेंगू से भी तो पीड़ित नहीं हैं।
उन्होंने अदालत को सूचित किया कि नवाज एक मधुमेह रोगी हैं और कई अन्य बीमारियों से भी पीड़ित हैं।
इस बीच इस्लामाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने नवाज के भाई शहबाज शरीफ की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एक अन्य अल-अजीजिया भ्रष्टाचार मामले में नवाज शरीफ की सजा को निलंबित करने और जमानत पर रिहा करने की मांग की गई है।
अदालत ने यह सुनवाई 29 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, नवाज को अभी चौधरी शुगर मिल मामले में जमानत मिली है जबकि अल-अजीजिया मामले में अभी इस पर फैसला होना बाकी है। यानी, फिलहाल उनकी तुरंत रिहाई संभव नहीं है।