न्यू इंडिया को स्वामी विवेकानंद के जागृत भारत सिद्धांत से प्रेरित होना चाहिए : पीएम मोदी

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नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा है कि समृद्धि के लिए भारत की खोज को स्वामी विवेकानंद की जागृत भारत विजन से प्रेरित होना चाहिए।

मोदी 1896 में विवेकानंद द्वारा शुरू की गई रामकृष्ण ऑर्डर की मासिक पत्रिका प्रबुद्ध भारत की 125 वीं वर्षगांठ समारोह को संबोधित कर रहे थे, जो देश में सबसे लंबे समय से चलने वाली अंग्रेजी पत्रिकाओं में से है।


मैसूर के महाराजा और स्वामी रामकृष्णानंद को लिखे विवेकानंद के पत्र पर ध्यान आकर्षित करते हुए, पीएम ने कहा कि इसने विवेकानंद के गरीबों को सशक्त बनाने के ²ष्टिकोण के दो विचारों को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, वह चाहते थे कि सशक्तिकरण को गरीबों तक ले जाया जाए, अगर गरीब खुद आसानी से सशक्तिकरण की ओर नहीं जा सकते हैं। दूसरा, उन्होंने भारत के गरीबों के बारे में बात की, उन्हें विचार दिया जाना चाहिए, उन्हें देखना चाहिए कि उनके आसपास की दुनिया में क्या चल रहा है और फिर वे अपने स्वयं के उद्धार के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आज यकीनन यही हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, अगर गरीब बैंकों तक पहुंच नहीं सकता है, तो बैंकों को गरीबों तक पहुंचना चाहिए। यही काम जन धन योजना ने किया है। अगर गरीब बीमा तक नहीं पहुंच सकता है, तो बीमा गरीबों तक पहुंचना चाहिए। जन सुरक्षा योजनाओं ने यही किया है। अगर गरीब हेल्थ केयर तक नहीं पहुंच सकते तो हमें गरीबों की पहुंच हेल्थ केयर तक करनी चाहिए, यह आयुष्मान भारत योजना ने किया है। उन्होंने कहा कि सड़क, शिक्षा, बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाएं देश के विभिन्न कोनों तक पहुंच रही हैं।


गौरतलब है कि पीएम ने फिर से युवा शक्ति और आधुनिक भारत में इसके महत्व का उल्लेख किया, जैसा कि उन्होंने अपने 73 वीं मन की बात में किया था, जिसमें उन्होंने उनके नेतृत्व वाली विभिन्न पहलों पर चर्चा की जो प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक हैं। इसमें उन्होंने खुशी जाहिर की कि भारत के लिए विवेकानंद के बड़े सपने और देश के युवाओं में उनका अटूट विश्वास भारत के बिजनेस लीडर्स, स्पोर्ट्स पर्सन, टेक्नोक्रेट्स, प्रोफेशनल्स, साइंटिस्ट्स, इनोवेटर्स और कई अन्य लोगों में दिखाई देता है। उन्होंने युवाओं से प्रैक्टिकल वेदांत पर स्वामीजी के व्याख्यानों से सीखने को कहा, जो असफलताओं को दूर करने की जरूरत पर जोर देते हैं और उन्हें सीखने की अवस्था का हिस्सा मानते हैं।

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उन्हें निडर होकर सीखना चाहिए और विवेकानंद की सलाह पर आत्म विश्वास से परिपूर्ण होना चाहिए।

महामारी कोविड-19 के खिलाफ भारत की लगभग एक साल की लंबी लड़ाई का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, महामारी के दौरान भारत का सक्रिय रुख स्वामीजी के संकट में खुद को असहाय महसूस नहीं करने के ²ष्टिकोण का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इसी तरह, जलवायु परिवर्तन की समस्या के बारे में शिकायत करने के बजाय भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के रूप में एक समाधान के लिए चला गया। स्वामी विवेकानंद के ²ष्टिकोण का यह प्रबुद्ध भारत है, इस पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा भारत है जो दुनिया की समस्याओं का समाधान दे रहा है।

पत्रिका को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए, पीएम ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को अमर बनाने और उनके विचारों को फैलाने के लिए इसकी प्रशंसा की।

–आईएएनएस

वीएवी/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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