पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलने को खेल रहा वही पुराना गेम

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नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)। पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक निगरानी दल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ब्लैक लिस्ट से बचने और ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए आक्रामक कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिए हैं।

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, देश वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) संगठन की पूर्ण बैठक से पहले सदस्य देशों से समर्थन जुटाने के प्रयासों में जुट गया है। वह एफएटीएफ के सदस्य देशों के साथ कूटनीति प्रयासों के साथ ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की तमाम कोशिश कर रहा है।


संगठन की बैठक 22 फरवरी से शुरू होगी। इस साल बैठक वर्चुअल तरीके से आयोजित की जाएगी। चार दिवसीय बैठक यह तय करेगी कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखना है या नहीं।

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एफएटीएफ की आगामी बैठक के नतीजे को लेकर आशा जताई है, लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि पाकिस्तान कम से कम जून तक ग्रे सूची में बना रहेगा।

पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में आने से बचने के लिए न्यूनतम तीन वोट चाहिए, जबकि ग्रे लिस्ट से बाहर होने से बचने के लिए उसे लगभग 15 वोट चाहिए। एफएटीएफ में वर्तमान में 39 पूर्ण सदस्य हैं।


पाकिस्तान को अब भी एफएटीएफ द्वारा निर्धारित 27 मापदंडों में से 13 पर खरा उतरना है। पाकिस्तान साथ ही यह भी दिखा रहा है कि वह आतंकी वित्तपोषण से नहीं जुड़ा है और उसे ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया जाना चाहिए।

पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए अपने मित्र देशों चीन, तुर्की और मलेशिया के तीन वोट तो मिल जाएंगे, मगर इसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है, क्योंकि उसे एफएटीएफ के 39 सदस्यों में से 12 से भी अनुमोदन की जरूरत होगी, जिसे हासिल करने में फिलहाल वह सक्षम नजर नहीं आ रहा है।

21 से 23 अक्टूबर तक आयोजित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की वर्चुअल प्लेनरी ने निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा।

पाकिस्तान आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए दिए गए 27 मापदंडों में से छह को पूरा करने में विफल रहा था। वह आतंक के वित्तपोषण में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाने और मुकदमा चलाने में भी चुस्ती नहीं दिखा रहा था। एफएटीएफ ने यह माना कि पाकिस्तान को अभी भी आतंकी फंडिंग की जांच करने की जरूरत है।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्रालय एफएटीएफ के सदस्य देशों के राजदूतों और राजनयिकों को आमंत्रित कर रहा है कि वे 27 बिंदुओं वाले एक्शन प्लान को लेकर पाकिस्तान द्वारा की गई कार्रवाई की प्रगति को खुद देखें। पाकिस्तान ने सदस्य देशों से इस मामले में सहयोग देने का अनुरोध किया है और एफएटीएफ को पाकिस्तान का दौरा करने की अनुमति देने की मांग की है।

पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था और 27 मुद्दों को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा दी गई थी। ग्रे सूची में शामिल देश वो होते हैं, जहां आतंकवाद की फंडिंग और धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का जोखिम सबसे ज्यादा होता है, लेकिन ये देश एफएटीएफ के साथ मिलकर इसे रोकने को लेकर काम करने के लिए तैयार होते हैं।

पाकिस्तान हमेशा एफएटीएफ की बैठकों से पहले यह दिखाने की कोशिश करता है कि वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, मगर बैठक खत्म होने के बाद फिर से अपने पुराने रास्ते पर लौट आता है और आतंक को लगातार पनाह देता रहता है।

उदाहरण के लिए, 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद को जेल की सजा सुनाई गई है, लेकिन उसे अपने घर में रहने और सामान्य जीवन जीने की अनुमति है। यह एक नियमित पैटर्न है, जिसमें आतंकवादियों को एफएटीएफ की बैठक से पहले दिखावे के तौर पर जेल में डाल दिया जाता है और बैठक समाप्त होते ही इन आतंकियों को जमानत दे दी जाती है और उन्हें आजादी से घूमने की अनुमति भी मिल जाती है।

(यह आलेख इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत है)

–आईएएनएस

एकेके/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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