पाकिस्तान को बीओपी संकट से निकालना आसान नहीं : आईएमएफ

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कराची, 15 फरवरी (आईएएनएस)| अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के उपनिदेशक अथानासियोस अरवानिटिस ने कहा कि पाकिस्तान जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को संतुलित करने व उसे बैलेंस ऑफ पैमेंट (बीओपी) संकट से उबारने के लिए उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। अरवानिटिस ने शुक्रवार को स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) में उभरते बाजारों के प्रबंधन पर एक संगोष्ठी और पैनल चर्चा को संबोधित करते हुए कहा, “जब दबाव तीव्र होते हैं, तो समाधान आसान नहीं होते।”

आईएमएफ अधिकारी ने कहा कि कुछ देशों ने बड़े घाटे के साथ ही अपने कर्ज को कम करने में कामयाबी हासिल की है। उनका यह दृष्टिकोण राजकोषीय तौर पर सजग रहने की वकालत करने वाला है।


यह देखते हुए कि असंतुलन को कम करना मुश्किल है, उन्होंने कहा, “अक्सर आवश्यक समायोजन के लिए समय लेने की इच्छा होती है, लेकिन देरी संकट को बड़ा बना देती है।”

सेमिनार को संबोधित करते हुए, मैक्रो इकोनॉमिक इनसाइट्स के सीईओ साकिब शेरानी ने पाकिस्तान के लिए खराब डिजाइन किए गए ऋण कार्यक्रमों पर आईएमएफ की आलोचना की।

उन्होंने कहा, “आईएमएफ कार्यक्रम संरचनात्मक सुधारों की अनुमति नहीं देते हैं। किसी देश की कर प्रणाली को ठीक करने में कितना समय लगता है? फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू से पहले साल में 45 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद करने का मतलब है कि आप इसमें सुधार की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।”


शेरानी ने कहा कि पाकिस्तान में निजी फर्म खराब नीति ढांचे का खामियाजा भुगत रही हैं।

इसके अलावा पाकिस्तान बिजनेस काउंसिल के सीईओ एहसान मलिक ने अपने संबोधन में कहा कि एसबीपी को मुख्य ब्याज दर को कम करना चाहिए। उन्होंने निर्यातकों की ऊर्जा लागत के संबंध में सरकार की भी आलोचना की।

उन्होंने कहा, “देश की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह ठीक वैसी ही है जैसी दो साल पहले थी।”

एसबीपी के गवर्नर रजा बाकिर ने इस पूरी चर्चा का संचालन किया। इस मौके पर बिजनेस जर्नलिस्ट खुर्रम हुसैन ने भी बात की।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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