पाकिस्तान : न्याय के लिए पर्ल के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट की ली शरण

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इस्लामाबाद, 2 मई (आईएएनएस)। अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के माता-पिता ने सिंध हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। पर्ल की साल 2002 में कराची में बेरहमी से की गई हत्या के मामले के आरोपियों को सिंध हाईकोर्ट ने बीते अप्रैल महीने में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।

डेनियल पर्ल के पिता जूडी पर्ल और मां रुथ पर्ल की तरफ से वकील फैसल सिद्दीकी ने याचिका दायर कर मामले के चारों आरोपियों को बरी करने का विरोध किया।


‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, वकील सिद्दीकी ने कहा, “पर्ल की हत्या के मामले में चारों लोगों को सिंध हाईकोर्ट द्वारा बरी किया जाना न्याय की पूर्ण रूप से उपेक्षा है। यह पाकिस्तानी राज्य और इसकी न्याय व्यवस्था को परिभाषित करने वाला मामला है। इसमें प्रेस की आजादी, हर जीवन की पवित्रता, आतंक से मुक्ति और दुनिया के लोगों का स्वागत करने वाले एक सुरक्षित पाकिस्तान जैसे मुद्दे निहित हैं। कम ही अदालती मामले ऐसे होते हैं जिसमें बुनियादी अधिकार इस हद तक दांव पर लगते हों।”

याचिका में कहा गया है कि सिंध हाईकोर्ट यह नहीं देख सका कि यह निर्मम हत्या अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से जुड़ी है और आतंकवाद से जुड़े मामलों में सबूत ठीक वैसे ही नहीं हो सकते जैसे कि हत्या के अन्य मामलों में होते हैं। हाईकोर्ट ने इसकी भी अनदेखी की कि मामले का मुख्य आरोपी उमर शेख अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद में शामिल रहा है।

गौरतलब है कि सिंध हाईकोर्ट के फैसले को सिंध सरकार सुप्रीम कोर्ट में पहले ही चुनौती दे चुकी है। साथ ही, सिंध के प्रॉसीक्यूटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर सिंध हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर सिंध सरकार की याचिका पर त्वरित सुनवाई की मांग की है। उन्होंने चार मई से शुरू होने वाले सप्ताह में ही सुनवाई शुरू किए जाने का आग्रह किया है।


सिंध सरकार की याचिका में मामले के सभी चार आरोपियों के लिए मृत्युदंड की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं जिन पर निचली अदालत अपनी मुहर लगा चुकी है।

गौरतलब है कि वाल स्ट्रीट जनरल के पत्रकार डेनियल पर्ल धार्मिक चरमपंथ पर एक स्टोरी कर रहे थे जब जनवरी 2002 में पाकिस्तान में उनका सिर कलम कर दिया गया था। उनकी हत्या का जुर्म साबित होने पर एक आतंकवाद रोधी अदालत ने मुख्य आरोपी उमर सईद शेख को मौत की सजा सुनाई थी और तीन अन्य को उम्र कैद भुगतने के लिए कहा था।

इन चारों ने जेल में रहते हुए सजा के खिलाफ अपील की। करीब 18 साल बाद बीती दो अप्रैल को सिध हाईकोर्ट ने उम्र कैद काट रहे तीन मुजरिमों को सबूत के अभाव में बरी करने का और उमर सईद शेख की मौत की सजा को सात साल कैद में बदलने का फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि चूंकि शेख 18 साल से जेल में है, इसलिए उसकी सात साल की सजा इसी में समायोजित की जाती है। इसलिए यह सभी रिहा होने के पात्र हैं।

लेकिन, इनकी रिहाई नहीं हुई। सिंध सरकार ने फैसले के दिन ही इन्हें कानून व्यवस्था के लिए खतरा बताते हुए गिरफ्तार कर लिया।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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