नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय फुटबाल में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) और आई-लीग के बीच जद्दोजहद लगातार जारी है और पावर स्पोट्र्ज ने इसी मुद्दे पर एक बड़ी चर्चा की। आईएसएल के 2014 में शुरू होते समय आई-लीग क्लबों को यह जानकारी नहीं थी कि उन्हें आने वाले वर्षो में इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (आईएफएफ) ने 17 मई 2016 को भारतीय फुटबाल के हितधारकों के साथ बैठक करके देश में तीन डिविजन लीग बनाने का प्रस्ताव रखा। चर्चा में बताया गया कि आई-लीग (जिसे लीग-1 के नाम से जाना जाएगा) और लीग-2 के बीच प्रमोशन एवं रेलिगेशन होगा जबकि आईएसएल में रेलिगेशन सिस्टम नहीं होगा।
आईएसएल में शामिल होने के लिए एक फ्रेंचाइजी को बड़ी फीस भी भरनी होगी। निर्णय लिया गया कि एएफसी चैम्पियंस लीग में आई-लीग के विजेता को स्थान मिलेगा जबकि एएफसी कप में आईएसएल के विजेता को जगह दी जाएगी।
तब से अबतक आईएसएल और आई-लीग के बीच इस बात को लेकर तकरार है कि एएफसी में भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा। 14 अक्टूबर में कुआलालम्पुर में एआईएफएफ, एएफसी, एफएसडीएल, आई-लीग क्लब और आईएसएल फ्रेंचाइज के बीच बैठक हुई और यह निर्णय लिया गया कि आईएसएल देश की शीर्ष लीग के रूप में आईएसएल की जगह लेगा।
पावर स्पोट्र्ज के शो ‘टॉकिंग टर्की विद कांथी’ में इसी मुद्दे पर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान मिनर्वा पंजाब के मालिक रंजीत बजाज से पूछा गया कि क्या वह कुआलालम्पुर में हुई बैठक से निकलीे नतीजे से खुश हैं, उन्होंने कहा कि यदि बैठक में दिए गए सुझाव पिछली सिफारिशों के अनुसार होते उन्हें अधिक खुशी होती।
बजाज ने कहा कि उन्हें पांच साल इंतजार करना पड़ेगा और तब तक शायद आई-लीग क्लब खत्म हो जाएंगे।
पावर स्पाट्र्ज की एडिटर-इन-चीफ और शो की होस्ट कांथी डी सुरेश ने ईस्ट बंगाल के मीडिया मैनेजर गौतम रॉय से पूछा कि क्या वह आईएसएल में भाग लेने के लिए मांगी जा रही 15 करोड़ की फीस से खुश हैं। इस पर रॉय जवाब देने से बचते हुए नजर आए और ऐसा प्रतीत हुआ के क्लब इतनी फीस देने के लिए तैयार नहीं है।
इस शो में फुटबाल पंडित नोवी कपाडिया और जयदीप बसु भी मौजूद थे और सभी ने यह माना कि आईएसएल टीम पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है जिसके कारण आई-लीग क्लबों का 2025 के बाद तक अस्तित्व में बने रहना मुश्किल है।