झारखंड: पश्चिम सिंहभूम नरसंहार मामले में पुलिस को बड़ी सफलता, 15 पत्थलगड़ी समर्थक गिरफ्तार

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झारखंड: पश्चिम सिंहभूम नरसंहार मामले में पुलिस को बड़ी सफलता, 15 पत्थलगड़ी समर्थक गिरफ्तार

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में पिछले दिनों पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा सात ग्रामीणों की हत्या के मामले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। झारखंड पुलिस ने इस मामले में 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी लोगों को चाईबासा में सात ग्रामीणों की हत्या की साजिश में शामिल होने के शक में गिरफ्तार किया गया है। झारखंड के एडीजी ऑपरेशंस एम एल मीणा ने पुलिस की इस कार्रवाई की पुष्टि की है।

बता दें कि झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में सात लोगों की हत्या कर दी गई। आरोप है कि पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों ने पत्थलगड़ी का विरोध करने पर पर इनलोगों का पहले अपहरण किया और फिर जंगल में ले जाकर इनकी हत्या कर दी। मृतकों में उपमुखिया और अन्य छह ग्रामीण शामिल हैं। पुलिस ने बुधवार को इनके शव बरामद किए थे।


झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने चाईबासा इलाके के बुरुगुलीकेरा गांव में सात ग्रामीणों की पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा हुई हत्या की एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं। हेमंत सोरेन ने कहा, ‘सरकार किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं देती। कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं लेकिन सरकार सख्‍त और निष्‍पक्ष कार्रवाई करेगी।’

सीएम सोरेन ने अपने बयान में कहा था कि कानून सबसे ऊपर है, घटना के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। एसआईटी जांच से तय समय सीमा के अंदर घटना के सही कारणों को सामने लाया जाएगा। मुख्‍यमंत्री ने पीड़ित परिवारों से संपर्क कर उन्‍हें अविलंब हरसंभव सहायता देने का भी आदेश दिया।

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पूरी घटना का ब्‍यौरा देते हुए पुलिस ने बताया कि पत्‍थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों और विरोधियों के बीच झगड़ा हो गया था। इसके बाद पत्‍थलगड़ी समर्थकों की संपत्तियों पर हमला किया गया। पीड़‍ित परिवारों का आरोप है कि इस घटना में नक्‍सलियों का भी हाथ हो सकता है। पुलिस मामले की आगे जांच कर रही है। झारखंड में नई सरकार के गठन के बाद पत्थलगड़ी से जुड़ी यह हिंसा की पहली बड़ी घटना है।


क्या है पत्थलगड़ी

आदिवासी समुदाय और गांवों में विधि-विधान/संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है। इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों या फिर दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सपूतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।

दरअसल, पत्थलगड़ी उन पत्थर स्मारकों को कहा जाता है जिसकी शुरुआत इंसानी समाज ने हजारों साल पहले की थी। यह एक पाषाणकालीन परंपरा है जो आदिवासियों में आज भी प्रचलित है। माना जाता है कि मृतकों की याद संजोने, खगोल विज्ञान को समझने, कबीलों के अधिकार क्षेत्रों के सीमांकन को दर्शाने, बसाहटों की सूचना देने, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने आदि उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रागैतिहासिक मानव समाज ने पत्थर स्मारकों की रचना की।


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