पेशेवर गोल्फ के ‘क्षितिज’ पर छाना चाहते हैं नवीद

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 नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)| जकार्ता एशियाई खेलों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले 17 साल के युवा गोल्फर क्षितिज नवीद कौल गुरुवार से शुरू हो रहे पैनासोनिक ओपन गोल्फ टूर्नामेंट में पेशेवर खिलाड़ी के तौर पर पदार्पण कर रहे हैं।

 क्षितिज ने एक सप्ताह पहले ही पेशेवर गोल्फ में आने का फैसला किया और अब वह अपनी प्रतिभा को भारत और विश्व के दिग्गज गोल्फ खिलाड़ियों के सामने जाहिर करने के लिए तैयार हैं। स्वभाव से शर्मिले क्षितिज का ध्यान सिर्फ और सिर्फ अपने खेल पर है।


क्षितिज को पेशेवर बनने के लिए किसी ने सलाह नहीं दी थी। यह उनका अपने खेल पर आत्मविश्वास ही था, जिसने उन्हें इतनी कम उम्र में पेशेवर गोल्फ में आने के लिए प्रेरित किया। इसमें उनके माता-पिता का भी समर्थन रहा।

क्षितिज से जब पेशेवर गोल्फ में आने की वजह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने आईएएनएस से कहा, “मैंने खुद पेशेवर गोल्फ खिलाड़ी बनने का फैसला किया था। मुझे किसी ने सलाह नहीं दी थी। मैं अच्छा खेल रहा था तो सोचा की प्रो हो जाता हूं। मां-पापा से भी बात की तो उन्होंने मेरे फैसले का समर्थन किया। मेरे पास एमेच्योर में कुछ करना को बचा नहीं था, इसलिए सोचा कि पेशेवर खिलाड़ी बन जाता हूं।”

यह युवा खिलाड़ी अपने पेशेवर करियर के बारे में ज्यादा नहीं सोच रहा है। उनका कहना है, “अभी तो शुरुआत है, लिहाजा ज्यादा नहीं सोच रहा। टूर्नामेंट वगैरह खेलता रहूंगा और अच्छा खेलने की कोशिश करूंगा।”


2008 से गोल्फ खेल रहे क्षितिज दिल्ली गोल्फ क्लब में ही अभ्यास करते हैं। इस कोर्स पर पैनासोनिक ओपन खेला जाना है। इस टूर्नामेंट के मौजूदा विजेता और दिग्गज गोल्फ खिलाड़ी शिव कपूर भी इसी मैदान पर अभ्यास करते हैं।

शिव से बातचीत के बारे में क्षितिज ने कहा, “शिव भी डीजीसी में अभ्यास करते हैं तो उनसे रोज मुलाकात होती है। वो बताते हैं कि उनका सफर कैसा रहा है। खेल के बारे में बताते हैं। रणनीति के बारे में बात होती है कि कैसे क्या करना है।”

कोर्स के बारे में क्षितिज की राय है कि यह उनके लिए तो अच्छा है क्योंकि वह रोज ही इस पर खेलते हैं। उन्होंने कहा, “मैं बस अपना खेल खेलना चाहता हूं। इस बार डीजीसी की फेयरवेज काफी अच्छे हैं। ग्रींस भी ठीक ही हैं। मैं यहां रोज खेलता हूं तो मुझे ज्यादा परेशानी नहीं होगी।”

शिव ने बुधवार को टूर्नामेंट से संबंधित एक कार्यक्रम में कहा था कि कोर्स के ग्रींस अच्छे नहीं हैं जिससे थोड़ी दिक्कत हो सकती है। क्षितिज का हालांकि मानना है कि उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी।

क्षितिज को गोल्फ क्लब तक लाने में उनके पिता का अहम योगदान रहा था। उन्हीं को देखते हुए वह गोल्फ सीखे और उनके पिता ही उनके पहले गुरू हैं।

गोल्फ कैसे शुरू किया इसके जवाब में क्षितिज ने कहा, “मेरे पिताजी खेलते थे। हम तब विशाखापट्टनम में रहते थे और मैं सिर्फ दो साल का था। मेरे पिताजी नेवी में थे। वहां हमारे घर से गोल्फ कोर्स 40 किलोमीटर दूर था।”

बकौल क्षितिज, “हम सुबह 3-3:30 बजे निकलते थे। पापा मुझे लेकर जाते थे। नौ होल खेलते थे और वापस आते थे। उसके बाद में स्कूल जाता था। पापा अभी नहीं खेलते। जब मैंने खेलना शुरू किया तो उन्होंने छोड़ दिया। वह मेरे पहले कोच हैं। वह गोल्फ के बारे में काफी पढ़ते थे। वह जो भी पढ़ते थे उसे पहले खुद करते थे और फिर मुझे सिखाते थे।”

क्षितिज के मौजूदा कोच हैदराबाद से हैं। उन्हें जब मौका मिलता है वह अपने कोच के पास जाते हैं।

एशियाई खेलों के बारे में क्षितिज ने कहा, “वहां का अनुभव अच्छा रहा। बेशक हम अच्छा नहीं खेले लेकिन काफी कुछ सीखने को मिला।”

कई युवा खिलाड़ियों की तरह क्षितिज के प्रेरणास्त्रोत भी टाइगर वुड्स ही हैं। वुड्स के खेल में सबसे अच्छी बात क्या है इस पर क्षितिज ने हंसते हुए कहा, ” वह जब पट करना चाहते हैं, कर देते हैं। मैंने हाल ही में उनकी जीत देखी। मुझे बहुत खुशी हुई। वह महान हैं।”

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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