मोदी सरकार के ‘सदाबहार’ मंत्री पीयूष गोयल, जानें 5 बातें

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सरकार के महत्वाकांक्षी वादों की कीमत कौन चुकाएगा?

नई दिल्ली। पीयूष गोयल केंद्र की मोदी सरकार में रेल मंत्री हैं। स्वास्थ्य संबंधी कारणों से अमेरिका गए हुए अरुण जेटली की जगह गोयल को वित्त मंत्रालय का अंतरिम प्रभार दिया गया। 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले शुक्रवार 1 फरवरी को गोयल ने मोदी सरकार की आखिरी बजट पेश करने की जिम्मेदारी निभाई। मई 2014 में केंद्र की सत्ता में एनडीए सरकार आने के बाद पीयूष गोयल को केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। लेकिन, पिछले साढ़े चार सालों में गोयल का कद बढ़ता गया और वह सरकार की आर्थिक नीति-निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

पीयूष गोयल की 5 बातें :

1) बीजेपी के साथ पीयूष गोयल का जुड़ाव काफी लंबा है। उनके पिता वेद प्रकाश गोयल पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के साथ-साथ केंद्रीय जहाजरानी मंत्री रह चुके हैं। उनकी मां, चंद्रकांता, महाराष्ट्र से विधायक थीं।


2) 54 वर्षीय गोयल को इससे पहले और इसी तरह के कारणों से केंद्रीय वित्त मंत्री बनाया गया है। अरुण जेटली के किडनी प्रत्यारोपण के दौरान उन्होंने पिछले साल मई-अगस्त में भारतीय अर्थव्यवस्था की कमान संभाली थी।

3) 2014 में केंद्रीय मंत्री बनने से पहले, पीयूष गोयल अपने पिता की तरह ही भाजपा के कोषाध्यक्ष थे। कॉर्पोरेट जगत से गहरा नाता होने के कारण 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए फंड जुटाने बनाने का श्रेय भी पीयूष गोयल के हिस्से जाता है। दिलचस्प बात यह है कि गोयल के आधिकारिक तौर पर पार्टी कोषाध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भाजपा ने नया खजांची नियुक्त नहीं किया। कहा जाता है कि अभी भी गोयल ही अनौपचारिक रूप से पार्टी के लिए धन जुटाते हैं।

4) पिछले कुछ सालों में गोयल की छवि एक सुयोग्य और सक्षम मंत्री के तौर पर बनी है। वह अर्थशास्त्र, कानून और नीति-निर्माण की बारीकियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। इसके अलावा उन्हें एक ऐसे मंत्री के रूप में जाने जाते हैं जिसे अपेक्षित परिणाम के लिए बाबुओं से काम निकलवाना आता है। यही कारण है कि शायद उन्हें वित्त मंत्री के रूप में अस्थायी और अहम कार्यभार के साथ-साथ बिजली और रेलवे मंत्रालयों का प्रभार दिया गया है।


5) अभी बजट से कुछ दिन पहले, सस्टेनेबल एनर्जी (सतत ऊर्जा) समाधानों के लिए गोयल के योगदान को देखते हुए उन्हें पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय द्वारा कार्नोट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।


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