पंजाब, हरियाणा में बागी सांसद दलों की मुसीबत

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चंडीगढ़, 13 मार्च (आईएएनएस)| पंजाब और हरियाणा में करीब एक-तिहाई मौजूदा सांसद इस आम चुनाव में उन दलों के ‘बागी’ हो गए हैं, जिनके टिकट पर उन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। पंजाब के चार मौजूदा सांसदों ने नई पार्टी बना ली है और मई 2014 में वे जिस पार्टी से निर्वाचित हुए थे, उसके खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं।

पटियाला से आम आदमी पार्टी (आप) के लोकसभा सांसद धर्मवीर गांधी ने पंजाब मंच बनाया है। नए राजनीतिक संगठन ने पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) का दामन थाम लिया है, जिसमें छह अन्य छोटे दल भी शामिल हैं। पटियाला सीट से गांधी को पीडीए ने उम्मीदवार बनाया है।


पटियाला के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ गांधी और फतेहगढ़ साहिब से आप सांसद हरिंदर सिंह खालसा को मई 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित कर दिया गया था। दोनों अबतक निलंबित चल रहे हैं।

फिरोजपुर लोकसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के मौजूदा सांसद शेर सिंह गुभाया पिछले तीन सालों से पार्टी नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं। वह इस महीने की शुरुआत में औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उनके बेटे राज्य में कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं।

खदूर साहिब सीट से मौजूदा सांसद और वरिष्ठ शिअद नेता रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए नवंबर में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने और अन्य वरिष्ठ अकाली नेता रत्न सिंह अजनाला व सेवा सिंह सेखवान ने शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) नामक नई पार्टी बना ली है।


पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। कुरुक्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद राज कुमार सैनी न केवल बीते चार वर्षो से पार्टी के केंद्र व राज्य नेतृत्व के आलोचक रहे हैं, बल्कि उन्होंने अकेले ही नई पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (लोसपा) बना ली है।

हिसार से युवा सांसद दुष्यंत चौटाला ने भी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नामक नई पार्टी बनाई है। वह 2014 में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से निर्वाचित हुए थे।

सिरसा लोकसभा सीट से मौजूदा इनोलो सांसद चरणजीत सिंह रोरी ने जेजेपी में शामिल होने संबंधित टिप्पणी कर पिछले महीने विवाद को हवा दे दी थी। हालांकि वह वापस इनोलो खेमे में आ गए।

हरियाणा में भाजपा के कम से कम चार मौजूदा सांसद अश्विनी कुमार (करनाल), धर्मबीर सिंह (भिवानी-महेंद्रगढ़), रत्न लाल कटारिया (अंबाला) और राव इंद्र सिंह (गुरुग्राम) ने अतीत में भाजपा नेतृत्व और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार के खिलाफ बोला था। हालांकि वे खुलकर पार्टी की बगावत में सामने नहीं आए थे।

दोनों राज्यों में पार्टियां इन सीटों पर नए उम्मीदवार उतार सकती हैं।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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