खराब रिश्तों से भारत में चीनी निवेश पर पड़ा असर, 3 साल में आधे से ज्यादा की कमी

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Negotiations will continue to resolve the India-China border dispute

भारत से खराब हुए रिश्तों का असर चीनी कंपनियों के निवेश पर भी पड़ा है। पिछले तीन वर्षों के दौरान चीनी कंपनियों के भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारी कमी आई है। इसका खुलासा वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से सोमवार को लोकसभा में हुए एक सवाल के लिखित में दिए जवाब से हुआ है। जवाब के मुताबिक, 2017-18 में जहां 350 मिलियन डॉलर चीनी एफडीआई भारत हुआ था, वहीं 2019-20 में यह घटकर आधे से भी कम 163.77 मिलियन डॉलर हो गया है।

दरअसल, लोकसभा सांसद एकेपी चिनराज और एस जगतरक्षकन ने वित्तमंत्री से पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कुल चीनी कंपनियों के निवेश के बारे में सवाल पूछा था। इस सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने पिछले तीन वित्तवर्ष में चीनी कंपनियों की एफडीआई का ब्यौरा दिया।


उन्होंने बताया कि 2017-18 में 350.22 मिलियन डॉलर की एफडीआई भारत को मिली, वहीं अगले साल घटकर 2018-19 में 229.0 मिलियन डॉलर हो गई। जबकि 2019-20 में चीन से भारत में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारी कमी आई। इस वर्ष सिर्फ 163.77 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ।

सांसदों ने यह भी पूछा था कि क्या सरकार का किसी भी चीनी फर्म को भारत में निवेश करने की अनुमति नहीं देने का विचार है? इस पर वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने लिखित जवाब में ऐसी किसी बात से इन्कार किया।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण भारतीय कंपनियों के टेकओवर व अधिग्रहण के अवसरों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने प्रेस नोट 3,2020 जारी किया है। उन क्षेत्रों और गतिविधियों जिन्हें प्रतिबंधित किया गया है, को छोड़कर एफडीआई नीति के तहत कोई गैर निवासी इकाई भारत में निवेश कर सकती है।


(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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