इतिहास के गुमनाम हिंदू शासकों को खोजकर ‘राष्ट्र नायक’ के रूप में पेश करेगी भाजपा

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प्राचीन हिंदू शासकों को 'राष्ट्र नायक' के रूप में पेश करेगी भाजपा

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदचिन्हों पर चलने वाली भाजपा ऐसे हिंदू राजाओं को सामने लाने जा रही है, जो इतिहास की गुमनामी में हैं। कुछ दर्ज हैं भी तो उन्हें उतना महत्व नहीं दिया गया है। ऐसे राजाओं को खोजकर भाजपा उन्हें राष्ट्र नायक के रूप में पेश करेगी।

आरएसएस की तरह भाजपा का भी मनाना है कि कई ऐसे कई हिंदू शासक हुए हैं, जो राष्ट्र के हित में जुटे रहे, लेकिन इतिहासकारों की उपेक्षा की वजह से वे गुमनाम रहे। उनके पराक्रम के कारण हिंदू संस्कृति और सभ्यता को बचाया गया था।


बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में दो दिन की संगोष्ठी का आयोजन किया गया, तो हर किसी को स्कंदगुप्त का नाम सुनने को मिला। संगोष्ठी में पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्कंदगुप्त विक्रमादित्य के बारे में कहा कि इनके साथ इतिहास में बहुत अन्याय हुआ है। उन्हें इतनी प्रसिद्धि नहीं मिली, जिनके वह हकदार थे।

इस संगोष्ठी के बाद लोगों के मन में उत्सुकता जगी कि आखिर स्कंदगुप्त कौन थे, जिनके जीवन पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

एक आरएसएस प्रचारक ने बताया कि स्कंदगुप्त, सुहेलदेव, हेमचंद्र विक्रमादित्य, दक्षिण के आंध्र प्रदेश में विजयनगर के कृष्णदेव राय जैसे प्राचीन शासकों को लोग कम जानते हैं। पुरु (पोरस) ने तो सिकंदर को परास्त किया था। बावजूद इसके उन्हें वह सम्मान नहीं प्राप्त हुआ, जिसके वे हकदार थे। इसी तरह असम के लाक्षित बड़फुकन का उल्लेख इतिहास में कहीं नहीं है। इन सभी राजाओं ने आर्य संस्कृति की रक्षा की थी। वीर बंदा बैरागी जैसे लोगों ने धर्म और संस्कृति के लिए लड़ाइयां लड़ीं, लेकिन आज ये गुमनाम हैं।


इतिहास संकलन समिति से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि वर्तमान में इतिहास में बहुत सारी विसंगतियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। मुगलों और अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास से बहुत ज्यादा छेड़छाड़ की है। इस कारण इतिहास के बारे में नई पीढ़ी को ज्यादा जानकारी नहीं है। स्कंदगुप्त जैसे कई नायक अभी छिपे हैं।

लखनऊ विश्वविद्यालय के भारतीय प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के अस्टिेंट प्रोफेसर डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव का कहना है कि स्कंदगुप्त का इतिहास बहुत उम्दा है। गुप्तकाल के दौरान स्कंदगुप्त ने 455 से 467 ईस्वी शासन किया था। 12 वर्षों में इनके शासन में प्रजा बहुत सुखी थी। इन्होंने अपनी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए मध्य एशिया के बर्बर आक्रांता हूणों से भीषण संग्राम किया और विजय हासिल की थी। स्कंदगुप्त ने न केवल हूणों को पराजित किया था, बल्कि गुप्त सम्राज्य की रक्षा के अलावा आर्य की संस्कृति को भी नष्ट होने से बचाया था।

लखनऊ विवि के पूर्व विभागाध्यक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के प्रो. निशीथ राय ने बताया कि विदेशी आततायी हूण मध्य एशिया में निवास करने वाले बर्बर कबीलाई लोग थे। हिंदुकुश पार कर गंधार पर अधिकार कर लिया था। फिर गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया, लेकिन स्कंदगुप्त ने उन्हें खदेड़ा। स्कंदगुप्त शूरवीर और पराक्रमी थे। इन्हें राष्ट्र नायक कहा जा सकता है।

इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राजा सुहेलदेव की प्रतिमा का उद्घाटन कर चुके हैं। सुहेलदेव आज से करीब हजार वर्ष पूर्व के ऐसे महानायक हैं, जिनका इतिहास में स्थान खोजना दुष्कर ही नहीं लगभग असाध्य है। उनके नाम की भी भाजपा में खूब चर्चा हुई। इसके बाद गुप्त राजवंश के आठवें राजा स्कंदगुप्त को भाजपा राष्ट्र के नायक के तौर पर पेश करने की तैयारी में है। पार्टी का मानना है कि यह संगोष्ठी राष्ट्र नायकों को इतिहास में उचित स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण स्थान निभाएगी।


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