प्रधान मंत्री नेशनल नुट्रिशन मिशन, कुपोषण और अनीमिया के खिलाफ एक शुरुआत

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प्रधान मंत्री नेशनल नुट्रिशन मिशन, कुपोषण और अनीमिया के खिलाफ एक शुरुआत

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 8 मार्च 2018 आंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राजस्थान के झुंझुनू मे राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की। इस योजना का लाभ देश के 10 करोड़ लोगो तक पहुचाने का लक्ष्य है। सरकार द्वारा 6 वर्ष से कम ओर महिलाओ मे रहे कुपोषण को दूर करने के लिए कई योजनाए बनाई है। लेकिन इन सारी योजनाए से अभी तक कुपोषण को हरा नहीं सके है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खास बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय पोषण मिशन योजना को बनाया है। इस मिशन के अंतर्गत खास तोर पर महिलाओ ओर 6 वर्ष से कम आयु के बच्चो मे रहे कुपोषण को दूर करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना जिन समस्याओ को लेकर बनाई गई है, वही सारी समस्याए कुपोषण के लिए भी जवाबदार है। इस लिए इस मिशन को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत शुरू किया गया है।


राष्ट्रीय पोषण मिशन अभियान 2019 को सफल बनाने के लिए इस योजना को तीन वार्षिक श्रेणी मे रखा गया है। योजना के प्रारंभ वर्ष 2017-18 मे 315 जिले, दुसरे वर्ष 2018-19 मे 235 जिले, तीसरे वर्ष 2019-20 मे बाकी बचे जिले चुने गए है।

राष्ट्रीय पोषण अभियान 2019

योजना को सुचार रूप से चलाने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय तथा नीति आयोग ध्वारा संचालित किया जाएगा। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य अनीमिया, ठिगनापन, कुपोषण को कम करने का है ओर कम वजन वाले बच्चो मे 2 % से 3 % कमी लाना है।

  • सुपोषित भारत मिशन के अंतर्गत आंगनवाड़ी संस्थाओ ओर कर्मचारीओ को ज़िम्मेदारी
  • आंगनवाड़ी को अधिक सक्रिय किया जाएगा।
  • कार्यकर्ताओ को Smart Phone दिये जाएगे।
  • इस योजना के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर को IT उपकरणो का प्रयोग करने के लिए उन्हे प्रोत्साहित करना।
  • आंगनवाड़ी मे बच्चो के कद नापने की प्रक्रिया ध्वारा बच्‍चों में उनकी लम्‍बाई कम बढने की समस्‍या का निवारण करना।
  • कार्यकर्ताओ को बच्चे के जन्म से 1000 दिन की आयु तक के स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • कार्यकर्ताओ ध्वारा गर्भवती महिलाओ को कुपोषण की जानकारी देकर उन्हे पोषण युक्त खोराक की जानकारी देना।
  • अनिमिया के पीड़ितो को या उसके परिवारों को इस बीमारी से अवगत करवा कर इसके इलाज़ की जानकारी देना।
  • इसके साथ ही समाज के सभी वर्ग के ओर खास कर के पिछड़े वर्ग के लोगो को कुपोषण के प्रभाव से अवगत करवाना ओर उन्हे बतलाना की इस बीमारी की असर केवल शरीर पर ही नहीं बल्कि मानसिक असर भी होती है।


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