बिहार की राजनीति में क्या भूचाल मचाएंगे प्रशांत किशोर? अटकलों पर आज लगेगा विराम

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प्रशांत किशोर को राज्यसभा भेज सकती हैं ममता बनर्जी

नीतीश कुमार की जेडीयू (JDU) के साथ नाता टूटने के बाद मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के अगले सियासी कदम को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले कुछ समय से लग रही इन अटकलों पर विराम लगाने के लिए प्रशांत किशोर पटना में मंगलवार को कोई बड़ी घोषणा करने जा रहे हैं। प्रशांत किशोर (Prashant Kishor )का अगला कदम क्या होगा, इस पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है। लेकिन प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों की मानें तो वह अपनी नई पार्टी या फ्रंट का ऐलान करने जा रहे हैं। प्रशांत की इस पार्टी में जदयू के एक और निष्कासित नेता पवन वर्मा भी शामिल होंगे। इसकी आधिकारिक घोषणा आज की जाएगी।

सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है कि प्रशांत किशोर इस साल के अंत में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे। दरअसल, पिछले महीने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खुले मतभेद के बाद जेडीयू ने प्रशांत किशोर को पार्टी से निकाल दिया था। तब उन्होंने कहा था कि वह पटना जाकर नीतीश का जवाब देंगे। वह इससे पहले 11 फरवरी को पटना में अपने अगले कदम के बारे में घोषणा करने वाले थे, लेकिन दिल्ली चुनाव परिणाम की वजह से उन्होंने ये घोषणा टाल दी।


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फिलहाल, प्रशांत किशोर क्या ऐलान करने वाले हैं, इसको लेकर बिहार की राजनीति में अटकलों का दौर जारी है। उनकी टीम के एक सदस्य ने बताया कि पीके कल कोई बड़ा धमाका करेंगे। फिलहाल ये संभावना जताई जा रही है कि वह अपना फ्रंट बनाएंगे। हालाँकि, इस बात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि उनका ये फ्रंट राजनीतिक होगा या गैर-राजनीतिक। कयास इस बात को लेकर भी लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के साथ काम करने की वजह से वह उस मॉडल की तर्ज पर बिहार में कुछ कर सकते हैं।

पीके से जुड़े लाखों युवा

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में ‘नीतीश फॉर बिहार’ कैंपेन के लिए काम कर चुके एक शख्स की मानें तो प्रशांत किशोर की पूरी कोशिश बिहार में केजरीवाल फॉर्मूले को लागू करने की होगी। प्रशांत किशोर युवा शक्ति के सहारे बिहार का केजरीवाल बनने की कोशिश करेंगे। वह बदलाव और नई राजनीति को अपना हथियार बनाएंगे।

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गौरतलब है कि जेडीयू से जुड़ने के बाद पीके ने बिहार के युवाओं को राजनीति से जोड़ने की मुहिम शुरु की थी। बिहार के कई शहरों से लेकर दिल्ली में भी इसको लेकर लगातार युवाओं से संपर्क किया था। इसके लिए उन्होंने ‘यूथ इन पॉलिटिक्स’ कैंपेन की शुरुआत की थी। इस कैंपेन की साइट के मुताबिक पौने चार लाख से ज्यादा युवा उनके साथ जुड़ चुके हैं।


प्रशांत किशोर के रुख से इतना साफ है कि बिहार में अब वह किसी भी पार्टी के लिए रणनीतिकार या सलाहकार के तौर पर काम नहीं करेंगे बल्कि दो साल पहले उन्होंने जो राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी, उसे ही अगले मुकाम तक ले जाएंगे। अब नीतीश कुमार के विजय रथ को रोकने की पीके की नई रणनीति कहां तक कामयाब होती है, यह देखने वाली बात होगी।


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