Delhi Assembly Election 2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 से चंद महीने पहले सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) सरकार को बड़ी राहत मिली है। लाभ के पद (Office of Profit) के मामले में आप (AAP) के 11 विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) ने खारिज कर दिया। राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग से सलाह लेने के बाद यह फैसला लिया है।
इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के साथ इन 11 विधायकों को भी बड़ी राहत मिली है। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसे सत्य की जीत बताते हुए ट्विटर पर लिखा, “सत्यमेव जयते। आखिरकार सत्य की जीत हुई।”
सत्यमेव जयते। Ultimately, truth prevails. https://t.co/pr4cG5QBUm
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 5, 2019
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का 28 अक्टूबर का 11 आम आदमी पार्टी के विधायकों को राहत देने का फैसला उसके द्वारा दी गई राय पर ही आधारित है। चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) में पद पर रहने से किसी विधायक को अयोग्य नहीं घोषित किया जा सकता क्योंकि इससे विधायकों को कोई अतिरिक्त सैलरी या भत्ता नहीं मिलता। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी विधायकों को अयोग्य घोषित करने से इनकार कर दिया था।
AAP के इन 11 विधायकों को मिली राहत
संजीव झा (बुराड़ी)
नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर)
प्रवीण कुमार (जंगपुरा)
पवन कुमार शर्मा (आदर्श नगर)
राजेश गुप्ता (वजीरपुर)
दत्त शर्मा (घोंडा)
सरिता सिंह (रोहताश नगर)
दिनेश मोहनिया (संगम विहार)
अमानतुल्लाह खान (ओखला)
कैलाश गहलोत (नजफगढ़)
जरनैल सिंह (तिलक नगर)
यह है पूरा मामला
दरअसल, मार्च, 2017 में बीजेपी नेता विवेक गर्ग ने राष्ट्रपति के समक्ष एक याचिका दायर कर दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत समेत 11 विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। याचिका के मुताबिक, विवेक गर्ग ने तर्क दिया था कि दिल्ली के 11 जिलों में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों का सह अध्यक्ष होने के तौर पर ये सभी 11 AAP विधायक लाभ के पद पर आसीन होते हैं, ऐसे में उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म की जाए। याचिका को भारतीय निर्वाचन आयोग के समक्ष भेजा गया था।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अगस्त महीने में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अपनी राय में कहा था कि इसमें सह अध्यक्ष होने के चलते ये विधायक अयोग्य नहीं हो जाते हैं। इसके पीछे तर्क दिया था कि सह अध्यक्ष के तौर पर वे किसी तरह का भत्ता, वेतन या फिर अन्य कोई फीस नहीं लेते हैं।